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फकीर बोला, हम तो पीते हैं शाम सवेरे

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फकीर बोला, हम तो पीते हैं शाम सवेरे

सबगुरु न्यूज। एक फकीर अपनी मस्ती में सड़कों पर घूम रहा था। उसके सामने से एक शव यात्रा जा रही थी। उसे देखकर वो खूब मुस्कराया और झूम झूम कर गाने लगा…
हम तो पीते हैं शाम सवेरे
यहां कोई किसी का नहीं
एक राहगीर वहां से गुजर रहा था वह यह सब कुछ देखकर उस फकीर से बोला हे बाबा आप शाम सवेरे क्यों पीते हो। अपनी उम्र का कुछ ख्याल रखों नहीं तो बहुत जल्दी तुम्हें भी ऐसे शव की तरह ले जाना पडेगा। तब फकीर कहने लगा बाबूजी ये मतलब की है दुनिया सारी यहां कोई किसी का नहीं है इसलिए हम शाम सवेरे दोनों वक्त ही पीते हैं।

राहगीर ने सोचा इस फकीर को समझाना बेकार है और वह मुस्कुरा कर जाने लगा। तब फकीर ने उस राहगीर को रोका ओर उसे कहने लगा बाबूजी आप भी रोज शाम सवेरे पिया करों। तुम्हारी जिंदगी सुधर जाएगी। राहगीर को गुस्सा आया, वो बडबडाते हुए वहां से चला गया। फकीर अपनी मस्ती में चला जा रहा था ओर वो ही गुनगुना रहा था — हम तो पीते हैं शाम सवेरे…।

फकीर चलते चलते एक सुनसान इलाके में पहुंच गया, एक पेड़ के नीचे बैठा और वही धुन गाने लग गया — हम तो पीते हैं शाम सवेरे — । थोड़ी ही देर बाद वहां एक व्यक्ति आया, वह उस फकीर को एक घंटे तक देखता रहा, उसके बाद बोला हे बाबा आप कितनी उम्र से पी रहे हो।

फकीर बोला जब से हमें समझ आ गई थी और हम जवान होने लगे तब से। वो व्यक्ति बोला हे बाबा तुम्हे कोई रोग नहीं लगा अब तक। फकीर बोला बाबूजी बस यह पीने का रोग ही लगा है। वो व्यक्ति फिर बोला हे बाबा मैं तुम्हारे भले के लिए ही बोल रहा हूं कि अब पीना बंद कर दो नहीं तो जल्द ही मर जाओगे।

फकीर बोला बाबूजी आप भी पीना शुरू कर दो नहीं तो बिना पीये ही एक दिन आप भी मर जाओगे ओर आप की जिन्दगी यू प्रवचन देने में ही निकल जाएगी। वह व्यक्ति फिर बोला हे बाबा मैने अपनी जिंदगी में सब कुछ कर लिया। मैंने राज कर लिया गाड़ी घोड़े बंगले नोकर चाकर सभी है मेरे पास तुम केवल फकीर ही बन बैठे हो तथा शाम ओर सवेरे पीते ही हो।

तब फकीर कहने लगा बाबू जी मेरा जलवा तुम्हे दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि आपकी आंखों पर और कानों पर पर्दा लगा हुआ है, आप देखकर भी नहीं देख रहे हो, सुनकर भी नहीं सुन रहे हो। यह सुनकर वो व्यक्ति कुछ झल्लाते हुए वहां से चला गया।

फकीर आकाश की ओर देखकर मुसकुराते हुए परमात्मा को कहने लगा, रहम कर मेरे मालिक यहां कोई किसी का नहीं। हम तो तेरे नाम का प्याला पीते हैं और ये कोई मदिरा नहीं है। ना जाने क्यों इंसान अपने आप को बलवान समझ कर जी रहा है, तेरे नाम का प्याला भी केवल अपने ही मतलब के लिए पी रहा है। जबकि यह जिंदगी का गुलाबी रंग उड जाएगा और झूठा मान गुमान यही रह जाएगा।

संतजन कहते हैं कि हे मानव इस जगत को परमात्मा ही चलाता है और मानव तो मात्र एक कठपुतली होती है। मानव अपने इरादे को पूरा करने के लिए केवल बेहतरीन प्रयास ही कर सकता है और जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीत और हार होना केवल परमात्मा की इच्छा ही होती हैं वरना हर प्रयास करने वाला सफल हो जाता। कुछ जीतकर भी हार जाते हैं और कुछ हारे हुए भी बादशाह बन कर राज करते हैं।

इसलिए हे मानव परमात्मा के नाम का प्याला शाम सवेरे पीता रह। यह दुनिया का अंतिम सत्य है। वह चाहे तो पल में प्रलय कर दे सागर को गागर में भर दे। अगर ऐसा नहीं होता तो सभी अपने कर्मों को भुना लेते और मनचाहा फल प्राप्त कर लेते। गीता का ज्ञान धरा ही रह जाता कि कर्म कर और फल की इच्छा मत कर। तेरी मजदूरी वो परमात्मा ब्याज सहित चुकाएगा। भरोसा रख उसका ओर शाम सवेरे पीता रह उसके नाम का प्याला।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर