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hindu mythology stories by joganiya dham pushkar-आ गए हो तो जाने की जिद ना करो - Sabguru News
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आ गए हो तो जाने की जिद ना करो

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आ गए हो तो जाने की जिद ना करो

सबगुरु न्यूज। बडे अरमानों से इन सर्द रातों में तुम्हारा इतंजार करता रहा मैं। आधी रात जब तुम आए तब तुम्हे देख मेरे सब दुख दर्द मिट गए। मैं अच्छी और बुरी उन बीती यादों को भूल गया, क्षण भर के लिए मैं सपनों की दुनिया में खो गया। उन सपनों में तुम और मैं ही थे जो हम बनने के लिए उतावले थे। तुमने चेहरे को घूंघट से ढंक रखा था और हाथों में मेहंदी लगी हुई थी।

बादल की ओट में छिपा चांद केवल अपनी चांदनी फैलाने से ही चांद होने का प्रमाण दे रहा था और मेहंदी लगे हाथ में रेखाएं गुम सी नज़र आ रही थीं। घूंघट में चेहरे की भाव भंगिमाएं कुछ स्पष्ट नजर नहीं आ रही थी और हाथों की मेहंदी में गुम लकीरें यह नहीं बता पा रहीं थी कि आगे सब कुछ कैसा गुजरेगा।

बैगानी शादी में मैं भी दीवाना होता जा रहा था और दिल में खुशियां मनाते जा रहा था कि अब सब कुछ बदल जाएगा और यही सोचते हुए मैं भी सब को कहे जा रहा था- –

नववर्ष की शुभकामनाएं
नववर्ष की शुभकामनाएं

रात तो ऐसे ही खुश होते होते गुजर गई, आंख खुली तो सुबह का सूरज मुस्कुराते हुए आगे बढे जा रहा था, नववर्ष को धीरे-धीरे पीछे छोडते जा रहा था। मैं भी पीछे कहां क्यो रहता। मन्नतो के धागे बांध आस्था के ठिकानों पर गया और धर्म वीर बन कर पुण्य करने लगा। सब को शुभकामनाओं के प्रसाद बांटता रहा और खुद भी जोश में रहा तथा हर मिलने वाले का जोश भी बढाता रहा।

नववर्ष का सूरज बढता जा रहा था, मैं बेचैन होकर कहे जा रहा था कि हे नववर्ष जब तुम आ ही गए हो तो वापस जाने की जिद ना करो, ज़रा धीरे-धीरे चलो क्योंकि हमने अभी जी भर के पहला दिन भी नहीं देखा ओर तुम नववर्ष की पहली संध्या करने पर ऊतारू हो गए। पर वो क्यो सुनता, उसे अपने लक्ष्य की ओर ही बढना था। सांझ की दुल्हन मुझे दूर से नजर आ रही थी जो मुझको इशारा किए जा रही थी कि हे प्रिय आगे बढो और लक्ष्य का भेदन करो क्योंकि रात होने वाली है।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, जब नई ऊर्जा किसी भी नाम से बढ़ती है, सकारात्मक मन के साथ तो वह क्षण हर नई शुरुआत कर लक्ष्यों का भेदन कर विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेती हैं और सड़कों पर भटकने वाला राहगीर भी अचानक संघर्षों के बीच में से गुजरता हुआ राजा बन जाता है।

इसलिए हे मानव तू इस नववर्ष की बेला को नई ऊर्जा मान और अपने लक्ष्यों के भेदन की ओर बढ। लक्ष्यों का भेदन ही नववर्ष का घूंघट ओढे सुन्दरी की भाव भंगिमाएं व उसके हाथों की लकीरों के भेद खोल पाएगी, तुझे उस ओर ले जाएंगी जहां मन्नतों के धागे स्वयं तेरी मन्न्तो को पूरा करने के लिए तेरे विजय का तिलक लगाकर तेरी हर मुश्किल आसन कर देंगी।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर