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hindu mythology stories by joganiya dham pushkar-विज्ञान और धर्म दोनों का सदा अस्तित्व रहा - Sabguru News
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विज्ञान और धर्म दोनों का सदा अस्तित्व रहा

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विज्ञान और धर्म दोनों का सदा अस्तित्व रहा

सबगुरु न्यूज। आधुनिक विज्ञान ने भले ही दुनिया को सत्य का भान करवा दिया और लगातार उन सभी क्षेत्रों के रहस्यों को उजागर करता जा रहा है जिन्हें मानव अब तक अज्ञात शक्ति के चमत्कार ही मानता रहा है।

विज्ञान ओर मनोविज्ञान ने भले ही आस्था मान्यता श्रद्धा विश्वास कोअंधविश्वास मानकर इसे मानव के भय की कमजोरी मानी तथा इसे झूठ का ही प्रमाण पत्र दिया। धर्म के इस क्षेत्र को मिथ्या बात ही माना लेकिन विज्ञान आज भी विश्व के करोड़ों लोगों के आस्था के इस विश्वास को बदल नहीं पाया, अन्यथा विश्व में धर्म और आस्था के अनगिनत ठिकाने अब तक खत्म हो जाते तथा विज्ञान के ठिकाने अपना पूर्ण अस्तित्व जमा लेते।

विश्व में आज तक करोड़ों मानव जन समुदाय अपनी आस्था के कारण तथा अज्ञात शक्ति के देव को पूजता रहा। अपनी मानवीय भय की कमजोरी से अपने आप को आज तक भी मजबूत कर रहा है। मानव में भय की जन्मजात प्रवृति होती हैं जो जन्म से मृत्यु तक व्यक्ति के साथ ही रहती है जिसे दुनिया का कोई विज्ञान भी दूर नहीं कर पाया। विश्व स्तर पर पर लगने वाले धर्म के मेले और महाकुंभ का मेला आज भी इस इस आस्था के जीवित उदाहरण हैं। जिसे विज्ञान अपने चश्मे से और धर्म अपने नजरिए से देखता है।

धर्म का आधार अपने धर्म ग्रंथ तथा आदि महापुरुषों के शोध व अनुभव हैं और उनके आधार पर ही प्राचीन विद्याएं, आयुर्वेदिक, उपचार, भवन निर्माण कला, ध्यान योग, स्वास्थय तथा आकाशीय ग्रह नक्षत्रों का ज्योतिष शास्त्र जैसी अनेकों विधाएं अब भी विद्यमान हैं। यह सब प्राच्य विद्याएं है जो व्यक्ति को गुमराह नहीं करतीं वरन् उन्हे जीवन की कमजोरियों से लड़ना और मुकाबला करना सिखला देती है, मानव की मनोदशा को मजबूत बना देती है।

धर्म संस्कृति के मेले सामाजिक सम्बंधों को तो बढ़ाते हैं साथ ही साथ आर्थिक जगत को भी मज़बूती प्रदान करते हैं। विभिन्नता में एकता का एक सुन्दर उदाहरण यहां देखा जाता है और भले ही कितना भी कमजोर व्यक्ति क्यों ना हो वह इन सबको देख उत्साह के बल से मजबूत हो जाता है।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, सूर्य व चंद्र ग्रहण विज्ञान की नजर में भले ही पृथ्वी और चन्द्रमा की छाया के खेल होते हैं पर धर्मग्रंथों व पुराणों पर आधारित धर्म और ज्योतिष शास्त्र की मान्यताएं इसे आस्था विश्वास से जोड़कर इसके शुभ और अशुभ फल की बात कहते हैं। इसे विज्ञान अपने तरीके से देखता है और धर्म अपने ही नजरिए से देखता है। कल होने वाले सूर्य ग्रहण को विज्ञान और धर्म दोनों ही की अलग अलग विचारधारा में जाकर अपने अपने कर्म को अंजाम देंगे।

इसलिए हे मानव भावी अनिष्ट की आशंका को दिल से निकाल और फिर अपनी इच्छाओं के अनुसार विज्ञान व धर्म जिसे भी चाहे मान क्योंकि कब क्या होगा यह जगत को रचने वाला ही जानता है।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर