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hindu mythology stories by joganiya dham pushkar-केसर घुल गई गारा में... - Sabguru News
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केसर घुल गई गारा में…

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केसर घुल गई गारा में…

सबगुरु न्यूज। एक सुन्दर मकान बनाकर उसमें कांच की खूबसूरत नक्काशी कर दी गई। जिसमें कोई भी एक वस्तु सभी तरफ से दिखतीं थी। उस कांच के सुन्दर मकान में हरा हरा चारा डाल दिया गया ओर एक पशु को उस मकान में प्रवेश करवाया।

मकान के बीचो-बीच चारा देखकर पशु खाने के लिए दोडा। जैसे ही उस पशु ने चारे में मुंह डालने लगा तो उसके सामने वाले कांच में अपना ही प्रतिबिम्ब दिखा। उसे समझ में नहीं आया कि यह प्रतिबिम्ब मेरा ही है।

उसने तुरंत अपना चारा छोडा ओर दूसरे छाया पशु के चारे पर कब्जा करने के लिए भागा ओर अपनी ही छाया को मारने लगा। कांच टूट गया उसकी छाया और चारा दिखना बंद हो गया। उस पशु ने फिर चारों तरफ देखा की वह छाया पशु कहां भाग गया।

मकान कांच का तो था ही उसे चारों तरफ अपनी शक्ल ही दिखतीं रही और वह समझ रहा था कि कोई दूसरा पशु भी यहां चारा खा रहा है। वह पशु क्रोधित हो गया और कांच में दिखी अपनी ही छाया को मारने लगा। एक एक करके उसने दूसरे पशु के भ्रम में सारे कांच तोड दिए और अंत में कांचों से लहू-लुहान होकर मूर्छित हो गया, असली चारा भी वहीं पडा रह गया।

उस मकान के सभी कांच फूट गए और असली चारा भी पडा रह गया। पशु इस भ्रम में कि कोई दूसरा पशु चारा ना खा जाए इसलिए कांच में दिखने वाली अपनी ही छाया को मारते मारते कांच की चोट से वो मूर्छित हुए पडा था।

एक विद्वान यह सब कुछ देख रहा था, वह बोला कि वाह परमात्मा! यह तो केसर गारे में घुल गईं। बिना ज्ञान के व्यक्ति सब कुछ मिट्टी में मिला देता है। हर भूमिका का मंचन करने से पहले उस भूमिका की विषयवस्तु का जानना ज़रूरी है अन्यथा भूमिका संघर्ष अपने आप से विद्रोह कर खुद को ही मिटा लेता है।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, पशु को तो कांच का ज्ञान नहीं होता है पर मानव समाज की संस्कृति में परवरिश कर सब कुछ सीखता रहता है। अपने को मिली हुई भूमिका का निर्वाह यदि वह भूमिका से परे जाकर करता है तो उसे सदा ही हर क्षेत्र में भूमिका संघर्ष ही करना पडेगा और उसे ताकत और महक देने वाली केसर जैसे पद तथा प्रतिष्ठा व सम्मान सभी शनैः शनैः सघंर्ष करते हुए अपने यौवन में ही ढलान पर आकर समाप्त हो जाएंगे उसी तरह जैसे केसर को मिट्टी में घोलकर उसको मूल्य हीन बना दिया हो और उसकी ताकत रंग व महक को मिट्टी में मिला दिया हो।

इसलिए हे मानव, यह मानव देही एक केसर के समान सुगंधित और ऊर्जावान है। समाज में रह कर ये संस्कृति को धारण करती हैं तथा सभी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि सभी क्षेत्रों में अपनी भूमिका का निर्वाह करतीं हैं। यदि अपने पद के अनुसार भूमिका का निर्वाह नहीं होता है उस पद की गरिमा धूल में मिल जाती है।

उस व्यक्ति को भूमिका संघर्ष में असफलता ही मिलती है चाहे वह राजा हो या भिखारी। इस लिए हे मानव, इस केसर के समान कंचन काया को भूमिका संघर्ष में मत डाल और अपने कद काठी का परिचय दे जिससे तेरे कर्म की खुशबू महके।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर