Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
hindu mythology stories by joganiya dham pushkar-करता क्यों मरोड़ धन और यौवन का - Sabguru News
होम Latest news करता क्यों मरोड़ धन और यौवन का

करता क्यों मरोड़ धन और यौवन का

0
करता क्यों मरोड़ धन और यौवन का

सबगुरु न्यूज। धन और बल के लदा व्यक्ति यदि शालीनता से बर्ताव नहीं करता है तो यह ऐंठ को जल्दी ही जन्म दे देता है। ऐंठ अपनी पूर्णता के साथ मरोड़ का रूप धारण कर लेती है और यह दिखाने की कोशिश करती है कि इस दुनिया में केवल में ही सब कुछ हूं और जो भी चाहूं उसे कर सकता हूं।

अपने धन और बल की गलतफहमी में जब वह जानवरों से भिड़ पड़ता है तो जानवर जो धन की परिभाषा नहीं जानता है लेकिन अपने बल से अपना परिचय करवा देता है। मरोड़ बेचारी दबे पांव भाग जाती है और दूर जाकर मुस्करा जाती है तथा अपने आप को सांत्वना देती हुई खुश हो जाती है कि ये जानवर मेरा रूतबा नहीं जानती है।

कुश्ती के अखाडे में दो पहलवान कुश्ती के लिए कूद पडते हैं। इनमें से एक एक बलवान के साथ ही साथ धनवान भी होता है तथा दूसरा धन और शरीर से कमजोर होता है। बलवान पहलवान गाजता है कि अभी तुझे चींटी की तरह कुचल दूंगा। कमजोर पहलवान चुपचाप सुने जा रहा था। अंत में कुश्ती शुरू हुई।

बलवान ने हर दांव पेंच लगाए ओर कमजोर मात खाता रहा। उसी समय आंधी का एक झोंका आया, कुछ कचरा बलवान की आंख में गिर गया। बलवान पहलवान तिलमिलाया इतने में कमजोर पहलवान ने उसे चित पटक दिया ओर बलवान के ऊपर बैठ गया।

बलवान को तो सिर्फ अपनी आखों की चिन्ता थी वह कुश्ती हार गया तथा बोला कि मुझे हार जीत से मतलब नहीं है मुझे मेरी आखों की ही चिन्ता थी जिसे मैंने बचा लिया। भले ही वो हार के बची या मेरा मरोड़ तोड़ कर बची।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, धन और बल एक मेहमान की तरह होते हैं। उनका ठिकाना सदा बदलता ही रहता है। वे आज किसी के पास तो कल ओर के पास होगा।

इसलिए हे मानव धन और बल की गलतफहमी में ऐंठ और मरोड़ को मत रख, यह अब तक किसी की भी साथी नहीं रही है और ना ही रहेगी, भले ही हम रोज ही अलग-अलग स्वांग करते रहें ओर अपनी मरोड़ दिखाते रहें। धन और बल की लम्बी आयु रखने के लिए शीतलता की ही जरूरत होती है ना कि मरोड़ की।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर