सबगुरु न्यूज। आस्था और श्रद्धा के ठिकाने पर कुदरत भी मेहरबान होती है, जहां करोडों अकीदतमंद अपना सिर झुकाते हैं और श्रद्धा के फूल पेशकर उनसे कृपा की भीख मांगते हैं। राजा हो या रंक सभी अपनी श्रद्धा व आस्था पेश करते हैं, उन ठिकानों पर मन्नतों के धागे बांधते हैं। जहां मै और तू अपना रूप बदल कर ‘हम’ बन जाते हैं। इन ठिकानों पर रूहानियत और रमहत की बरसात होती हैं जिससे नहाकर हर कोई अपने को खुश नसीब समझता है। आस्था और श्रद्धा के ठिकाने जाति, वर्ग, समुदाय, धर्म, भाषा, लिंग, अमीर, गरीब इन सब परिभाषाओ से परे होते हैं।
इन ठिकानों में हमारे देश के राजस्थान के अजमेर जिले में ख्वाजा गरीब नवाज की एक दरगाह है। जहां हर वर्ष उर्स में लाखों श्रद्धालु उनके दर पर आते हैं और अदब से हज़रत का अस्ताना चूमते हैं। सम्मान की चादर और श्रद्धा के फूल चढाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। दूर दराज से बैठे हुए भी अपनी आस्था की उपस्थिति किसी के माध्यम से दर्ज कराते हैं। देश के प्रमुख से लेकर आस्थावान आम जनता और देश विदेश के श्रद्धालु भी यहां नतमस्तक होते हैं।
मेरी झोली भर दे ख्वाजा गरीब नवाज इन स्वरों से गूंज जाती है ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह और एक रूहानी माहौल बन जाता है, लगता है कि आस्था और श्रद्धा के ठिकाने का यह मालिक सब कुछ सुन रहा है साथ ही सबकी मुरादें पूरी कर रहा है। अमन, चैन, सुख, शांति, समृद्धि की दुआ करते श्रद्धालु को यहां सुकून मिलता है, इसी सुकून को पाकर वह अपनी झोली भरके जाता है।
संत जन कहते हैं कि हे मानव, संत जो आए जगत में परमार्थ के हेत। संत जन इस जगत में गरीबों का हमदर्द और सभी जगत के परमार्थ के लिए ही पैदा होते हैं। संत खुद इस भव सागर से पार उतर जाते हैं और दूसरों को भी पार उतार देते हैं। वे भक्ति भाव और सेवा की खेती कर जाते हैं, जहां सहयोग, प्रेम और भाईचारे की फसल स्वत: ही पैदा हो जाती है।
इसलिए हे मानव, शरीर में धडकने वाली प्राण वायु रूपी ऊर्जा जिसे आत्मा कहा जाता है वह स्वंय एक संत हैं जो शरीर को जिन्दा रखने के लिए ही धड़कती रहती है। वह मन को बार बार यह पैगाम देती हैं कि हे मन तू मेरी आवाज सुन और तुझ पर चढ़ी लोभ, लालच, मोह की चादर को हटा तथा मेरी धड़कन रूपी चादर को चूम लेगा तो इस शरीर की हर मन्नत पूरी हो जाएगी।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर