सबगुरु न्यूज। देव अर्थात एक अदृश्य शक्ति जो प्रकृति को अपनी इच्छा के अनुसार चलाती है। जिसका रंग, रूप, आकार, प्रकार किसी को दिखाई नहीं देता है। वह कब क्या करेगी इस की कोई वाणी नहीं होती। यह जमीनी स्तर का सत्य है।
निश्चित ऋतु चक्र में भी कभी क्या धटित हो जाता है सब अनुमान और शोध की विषय वस्तु बन कर रह जाती है। धार्मिक कथाओं में आस्था और विश्वास तक ही देव व उसकी वाणी को देखा जा सकता है। जमीनी हकीकत में देव और देववाणी देखी नहीं गई। अगले ही पल क्या घटित होगा इसका भान केवल बेहतरीन अनुमान ही दे सकते हैं।
जिज्ञासा वश मानव प्रकृति के रहस्यों को ढूंढने का प्रयास करने लगा तो इस खोज में कोई भौतिक जगत के रहस्यों को खोजता हुआ कारण परिणाम बताता हुआ वैज्ञानिक बन गया। अभौतिक जगत के रहस्यों को खोजता हुआ कोई अभौतिक विद्याओं का ज्ञाता बन गया।
इन विद्याओ में यंत्र, मंत्र, तंत्र, कर्मकांड, अनुष्ठान, उपासना, जादू, टोना, टोटका, ज्योतिष शास्त्र, अंक शास्त्र, वास्तु शास्त्र, हस्त रेखा शास्त्र और अनेक प्राच्य विद्याएं जिसका आधार अदृश्य शक्ति के साकार देव रहे हैं।
प्राच्य विद्याओं का इतिहास भले ही कोई भी अपनी उपलब्धि बताता रहा पर वर्तमान धरातल पर इनका फलदायी रूप नहीं देखा गया। अगर ऐसा होता तो इन विद्याओं का जानकार हर कार्य अपने अनुरूप करा लेता। ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता वर्तमान लोकतंत्र की शासन व्यवस्था की तमाम भविष्यवाणी कर राज्य व देश प्रमुख व उनके पक्ष विपक्ष की संख्या निर्धारित कर घोषित कर देता।
कर्मकांड ओर अनुष्ठान का ज्ञाता अपने अनुसार ही राजा ओर सरकारें तय कर देता। देश और दुनिया में होने वाले सभी जुर्म व अत्याचार अशांति को रोक देता। सदियों से पौराणिक इतिहास व अन्य इतिहास की कथाएं बताती हैं कि देव, दानव और मानव ने जब जो चाहा इन विद्याओं से सब कुछ उसे नहीं मिला। अन्यथा कभी बाहरी शक्तियां यहां आकर राज नहीं करती।
विज्ञान चाहे भौतिक हो या अभौतिक, इन सब की मर्यादाएं होती हैं ओर वे स्थिति तथा अपने सिद्धान्तों पर ही जिन्दा रहता है। यह कोई आंकडों का मायाजाल नहीं होता है कि हम हर उपलब्धि को चाहे जैसे प्रस्तुत कर दें। भौतिक विज्ञान प्रयोगों की कसौटी पर प्रयोगशाला में जांचा ओर परखा जाता है तब वह अपने परिणाम सफल देकर विज्ञान कहलाता है।
प्राच्य विद्याएं प्रयोगशाला के अभाव में विज्ञान नहीं बन पाईं ओर इनकी भविष्यवाणियां सफल नहीं हो पाई। एक व्यक्ति विशेष तक भी यह आधी अधूरी ही रहती है।
सांख्यिकी सर्वे निश्चित और बहुस्तरिय रेन्डम सैम्पल पर आधारित होते हैं। निश्चित संख्या के आधार पर अनुमान लगाते हैं, एक जटिल तकनीकी आधार पर लंबे समय में अपना अनुमान प्रस्तुत करते है। जबकि तात्कालिक सर्वे केवल आंखों के अनुमान ही होते हैं जो करोडों में से चन्द हजार लोगों पर अपना परिणाम घोषित कर बाजार को प्रभावित करते हैं। हालांकि ये रूख परिवर्तन में अपनी की भूमिका निभाते हैं। अनुमान आखिरी अनुमान होते है जिससे देव और दानव दोनों बनाए जा सकते हैं।
संतजन कहते हैं कि हे मानव, सदियों का इतिहास यही बताता है कि भविष्य में क्या होगा इसकी देव कोई वाणी करके नहीं सुनाता और भविष्यवाणी व्यक्ति और परिस्थिति विशेष में ही सिकुड कर रह जाती है। अपने सिद्धान्तों की मर्यादा के कारण राजनीति में तो यह और भी कठिन हो जाती है बहु व्यक्तियो के प्रतिस्पर्धा के कारण।
महिला मुख्यमंत्री मंत्री बनेगी या पुरूष या किस पार्टी को सत्ता हासिल होगी। यह बातें भविष्य के गर्भ में होती है, आने वाला काल ही इसे बताएगा। यह सब अदृशय देवों की अदृशय देववाणी होती है जिसे जाना नहीं जा सकता।
इसलिए हे मानव, तू अपने बल बुद्धि विवेक साहस से ही कार्य कर क्योंकि हर अंधविश्वास व्यक्ति की कार्यक्षमता को कमजोर करता है और उसकी सफलता की राह में अनावश्यक रोडे अटका देता है। सर्वे ओर भविष्यवाणियां एक अनुमान ही होते हैं। यही अब तक का इतिहास बताता है। इसलिए हे मानव, अपने कर्म की ओर बढ तथा अपने लक्ष्य को आसान बना।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर