सबगुरु न्यूज। मानव सृष्टि निर्माण के बाद भय मुक्त था। जैसे जैसे मानव की समझ बढी उसे भय नाम की मनोवृत्ति ने घेर लिया। वह आज तक मानव पर राज कर रही हैं। चाहे मानव ने अपने आप कितना भी बलवान बना लिया हो भय उसके सामने मुस्कुराता हुआ खडा ही रहता है और अपनी जहरीली नजरों से देखता रहता है।
भय से कांपते हुए मानव ने सहारा ढूंढा ओर उस सहारे से वह कुछ राहत महसूस करने लगा। बढ़ती हुई समझ और सहारे से उसने समाज व संगठन की संरचना की। व्यक्ति, वस्तु, स्थान और जीव जो भी उसे सहारे के रूप मे मिले उन सब में उसका विश्वास बढ़ने लगा। इनके वृहद स्वरुप ने आने वाली पीढ़ी के लिए भगवान् की तरह कार्य किया। आस्था व श्रद्धा के इन सहारे के व्यक्ति वस्तु और स्थान फ़िर देव बन कर पूजते रहे। जमीनी हकीकत में यही धर्म कहलाया।
जो मानव इन सहारे को केवल सहयोग ही मानते रहे और इन्हें भगवान व देव नहीं माना तो मानव समाज व संगठनों ने इन्हें दानव घोषित कर दिया तथा समाज व संगठन ने इन्हें सुख सुविधाओं से वंचित कर अपने समूह से अलग कर दिया। बस यहीं से मानव सभ्यता और संस्कृति मे संघर्ष उत्पन्न हो गया व आज अपने विस्तृत रूप में आ गया।
भय के सहारे ने एक तरफ जहां देव धर्म, कर्म, मूल्य, विश्वास, आस्था, श्रद्धा, मान्यता, अध्यात्म को जन्म दिया वहीं दूसरी ओर भय के उसी सहारे ने हकीकत की दुनिया विज्ञान अनुसंधान और विश्लेषण के माध्यम से प्रकृति को समझा। प्रकृति के अपने सिद्धांत के सहारे मानव ने अपने न्याय सिद्धांत की रचना की जो आज भी विश्व स्तर पर व्यवस्था का आधार बनी हुई है।
विश्व स्तर पर पर धर्म और प्रकृति के धर्म के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। मानव को भय में डालती जा रही है। विश्व का मानव आज इन्हीं दो धर्मो के बीच के न्याय सिद्धांतों से लगातार भयभीत हो रहा है। नीतियां चाहे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा धार्मिक या कोई भी क्यों ना हो वे सब भय के राजा के रूप में मानव को घेरे बैठी हैं।
संत जन कहते हैं कि हे मानव आज ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और विकास के लिए भय मुक्त मानव समाज के निर्माण की ही महती आवश्यकता है। यदि भय मुक्त मानव समाज का निर्माण नहीं हुआ तो बाकी सब बातें आदर्श बनकर केवल भावी पीढियों के लिए कहानियां ही बनकर रह जाएंगी।
इसलिए हे मानव तू सबसे पहले अपने ही घर को भय मुक्त बना और प्रेम की गंगा से मन के कचरे को साफ कर। जब यह कचरा साफ़ हो जाएगा तो घर में शक की प्रवृति खत्म हो जाएगी और न्याय सिद्धांत तेरे घर में ही अपना न्याय कर तुझे अनावश्यक भटकने से रोक देंगे।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर