सबगुरु न्यूज। दुष्ट व्यक्ति कभी भी अपनी दुष्टता को नहीं छोड़ सकता चाहे वह कितने भी मीठे बोल बोले। दुष्ट व्यक्ति के दिलो दिमाग़ में सदैव ईर्ष्या, जलन और विरोध की आग जलती रहती हैं। कुछ खुलकर अपनी दुष्टता का प्रदर्शन करते हैं और कुछ अपनी दुष्टता बाहर मिठास दिखा कर करते हैं। ये लोग किसी की शाश्वत प्रगति की राह में चुपचाप कांटे बिछा कर सारा खेल देख कर जहरीली मुस्कराहट छोडते रहते हैं और ख़ुश होते हैं।
दुष्टता का संबंध किसी जाति, वर्ग, धर्म, समाज, भाषा, लिंग से नहीं होता वरन् मानव की मनोवृत्ति और उसके व्यवहार करने से होता है। दुष्टता केवल अपने आप को ही पुजवाना चाहती है और दूसरों की प्रगति, उत्थान और सफलता को वह बर्दाश्त नहीं कर पाती। वह उसे नीचा दिखाने की कोशिश में हर स्तर तक चली जाती हैं। दुष्टता का यही रूप प्रकट रूप से देखा जा सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा सकता है।
जहां पर किसी को दीन हीन समझा जाता है यदि वहां पर ज्ञान, भक्ति और कर्म के झंडे लहराने लग जाते हैं तो दुष्ट व्यक्ति इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता है। उसे हर प्रकार से कुचलने के लिए योजनावद्ध ढंग से निपटाने में कोई कसर नहीं छोडता है। यदि फिर भी दुष्ट व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है तो वह ओछे हथकंडे इस्तेमाल करना शुरू कर देता है और काम मे बाधा उत्पन्न करता रहता है
संत जन कहते हैं कि हे मानव भले ही दुष्ट व्यक्ति अपनी कितनी भी दुष्टता कर ले तो भी सफल व्यक्ति संघर्ष करके भी चुनौती पर विजय पा लेता है और दुष्ट व्यक्ति हारने के बाद भी अपनी हार को छुपाने के लिए ठहाका मारता रहता है।
इसलिए हे मानव तू साहस रख भले ही दुष्ट व्यक्ति तुझे छोटा समझे या तेरे मार्ग में कांटे बिखेरने लग जाए। तेरा साहस ही दुष्ट व्यक्ति को हरा देगा और तेरी विजय करा देगा।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर