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खमा खमा हो धणियां, रूणीचे का धणियां... - Sabguru News
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खमा खमा हो धणियां, रूणीचे का धणियां…

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खमा खमा हो धणियां, रूणीचे का धणियां…

खमा खमा हो धणियां, रूणीचे का धणियां
बादलियो गरजियो, मेवडलो बरसियो
बादल गर्जना कर रहे और बरसात जमकर बरस रही थी। हिन्दू महिना भादवा था और धरती भारत की थीं। राजस्थान के मरूधरा जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील में तंवर वंश के अजमल जी के घर मे एक चमत्कारी बालक का अवतरण हुआ। बाबा रामदेव जी के नाम से उन्हें जाना जाता है।

मक्का से पधारे पीरों को भी बाबा रामदेव जी ने अपना चमत्कार बताया था इस कारण पांचों पीरों ने उन्हें पीरों का पीर कहा और वह रामापीर के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह बात विक्रम संवत 1409 की थी जिसे आज 667 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आज विक्रम संवत 2076 चल रहा है।

बाबा रामदेव जी का अवतरण विक्रम संवत 1409 मे भाद्रपद मास की शुक्ल द्वितीया को हुआ था तथा विक्रम संवत 1442 मे बाबा रामदेव जी ने जीवित समाधि ले ली थी। केवल 33 वर्ष की उम्र तक के इस अल्प समय में बाबा रामदेव जी ने इस दुनिया से पर्दा ले लिया।

लोक साहित्य और लोक कथाओं में बाबा रामदेव जी को चमत्कारिक शक्ति माना है और कहा जाता है कि उन्होंने 24 चमत्कार दिखाकर इस मरूधरा में अपना झंडा गाड़ा। उस समय समाज में भारी कुरीतियां ओर छुआ-छूत जम कर अपने पांव गाडे बैठी थी। इन सब का बाबा रामदेव जी भारी विरोध कर समाज को सुधारा तथा समाज को एक नई दिशा प्रदान की। समाज जिन्हें निम्न तबका मानता था बाबा रामदेव जी ने उन्हें गले लगाया ओर सदा उनके सुधार और विकास के कार्य किए।

भारत के राजस्थान राज्य की मरूधरा के जैसलमेर जिले में आज भी बाबा रामदेव जी का प्रसिद्ध मेला भाद्रपद मास में लगता है ओर लगभग 50 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा रामदेव जी की समाधि मंदिर के दर्शन करते हैं। राजस्थान ही नहीं मध्य प्रदेश गुजरात हरियाणा दिल्ली के अपार श्रद्धालु बाबा रामदेव जी की समाधि मंदिर के दर्शन करने वर्ष भर आते हैं।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, बाबा रामदेव जी ने जमीनी स्तर पर ओर हकीकत में लोक कल्याण के कार्य उस मरूधरा की भूमि पर किए थे और समाज में भारी कुरीतियां ओर छुआ-छूत का अंत करके सभी में प्रेम ओर सामंजस्य बनाने का कार्य किया। आध्यात्मिक चिंतन उपदेश के स्थान पर वह जनता से जुड़े रहे और मावन कल्याण करते हुए इस जगत से शीघ्र ही अंतर्धान हो गए।

इसलिए हे मानव, बाबा रामदेव जी चमत्कारी संत तो थे ही लेकिन फिर भी वह जनता के सुख दुःख से जुड़े हुए थे और हाथों हाथ उनका निवारण भी करने के साथ जाति पांति को छोड़कर वह सभी में समानता बनाए रखने के कार्य करते रहे। इसलिए हे मानव, तू बाबा रामदेव जी को भले ही मान या ना मान लेकिन इस पवित्र भाद्रपद मास में समाज में अभी तक व्यापत कुरीतियों का अंत कर। समाज को समरसता के साथ जोड तथा मानवीय मूल्यों को बनाए रख।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर