सबगुरु न्यूज-सिरोही। चौंक गए न खबर का शीर्षक पढ़कर। लेकिन, आजाद भारत में देश भक्ति का ऐसा जज्बा सिरोही में 74 सालों में नहीं दिखा होगा जैसा शनिवार को नजर आया।
स्वतंत्रता दिवस समारोह पर शेड को छोड़कर पूरा अरविंद पैवेलियन खाली नजर आया। आज महामारी के आलम में जब देश में आपात स्थिति है ऐसे में कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए सार्वजनिक एकत्रीकरण नहीं करने से बड़ी राष्ट्रभक्ति कुछ और हो ही नहीं सकती।
महामारी से शहरवासियों का जीवन बचाने के लिए ही जज्बा सिरोहीवासियों ने दिखाया और कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए जिला स्तरीय कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। वैसे जिला प्रशासन द्वारा कोरोना को देखते हुए इन्तजामात किये गए थे।
इस समारोह में जिला पुलिस अधीक्षक पूजा अवाना, वन उप सरंक्षक श्रीमती सोनल जोरीहार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी भागीरथ विश्नोई, सभापति महेन्द्र मेवाडा, महात्मा गांधी जीवन दर्शन के सहयोजक राजेंद्र सांखला, आबू-पिंडवाडा की पूर्व विधायक गंगाबेन, शिवगंज के पूर्व प्रधान जीवाराम आर्य , उपखंड अधिकारी हंसमुख कुमार, पुलिस उपाधीक्षक अंकित जैन समेत अन्य विभागों के अधिकारी एवं जन प्रतिनिधिगण मौजूद थे। जिला कलक्टर ने निवास व कार्यालय पर ध्वज फहराया।
-डिस्टेंसिंग के साथ बैठने की व्यवस्था
अरविंद पैवेलियन में हमेशा की तरह टीनशेड के नीचे बैठक व्यवस्था की गई थी। इसमी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया था। कुर्सियां सुरक्षित दूरी पर लगाई गई थी। मार्च पास्ट में राजस्थान सशस्त्र दल राजस्थान पुलिस के पुरूष व महिला कार्मिकों, गृह रक्षक दल, स्काउट एवं गाईड टुकड़ियों ने भाग लिया।
सांस्कृतिक आयोजन के रूप में स्थानीय शिक्षकों ने कोरोना का थीम गीत प्रस्तुत किया। इससे पूर्व जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद ने ध्वजारोहण किया और एडीएम गीतेश मालवीय ने राज्यपाल का अभिभाषण पढ़ा। गृह मंत्रालय के आदेशानुसार सम्मान समारोह नही रखा गया।
-मैदान खाली में कुलांचे मारता रहा अतीत
74 सालों राष्ट्रीय पर्व पर अरविन्द पेवेलियन ही क्या जिले का कोई आयोजन स्थल कभी खाली नजर नही आया। आज यहां मंच से लेकर इसकी पूर्वी बाउंड्री तक सिर्फ खाली मैदान था। पेवेलियन में बैठे सभी लोगों के चेहरे मास्क से ढके हुए थे। स्काउट्स को छोड़कर कोई बच्चा नहीं था।
ना तो व्यायाम के लिए ड्रम की बीट थी न सांस्कृतिक गानों पर बच्चों का उत्साह। था तो बस मैदान में दूर तक फैला खालीपन और इस खाली मैदान में कुलाचें मारती अतीत के कार्यक्रमो की यादें । मन में इस आशा की उत्तंग लहरें थी कि 6 महीने बाद इसी जगह फिर उसी जज्बे से पूरा शहर राष्ट्रध्वज को सलामी देगा जैसे 6 महीने पहले दी थी।
-राष्ट्रध्वज को मानस वंदन!
सनातन धर्म में मानस पूजन की महत्ता भी कम नहीं है। सिरोही में लोगों ने महामारी के दौरान देश के प्रति अपनी जवाबदेही को निभाया। स्वतंत्रता दिवस पर देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मानस ध्वज वंदन भी किया।