नई दिल्ली। सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को कहा कि उनके मंत्रालय ने पिछले पांच वर्षों में अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है और यह सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ही हुआ है।
गहलोत ने अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए इस बार के बजट में अनुदान में कमी के विपक्ष के आरोपों पर कहा कि जब से उन्होेंने इस विभाग का कार्यभार संभाला था, इसे जीवंत बनाया है और नई पहचान दिलाई है। पिछले पांच वर्ष में अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है और 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाया। इसके अलावा देश में विमुक्त और घुमंतु समुदाय की पहचान के लिए एक उच्च स्तरीय बोर्ड का गठन किया जो इस काम को बखूबी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए आरक्षण बरकरार रखा है और समाज के अन्य वर्गों के लिए आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। इसके अलावा टांसजेंडर कल्याण अधिनियम बनाया गया तथा वरिष्ठ नागरिकों के लालन-पालन के लिए और मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। इनकी समस्याओं के निदान के लिए हर थानों में एक अलग प्रकोष्ठ होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार सिर पर मैला ढोने वालाें की समस्या को लेकर सरकार काफी संवेदनशील है और अब सीवर की सफाई के लिए मजदूूरों को यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे।
उन्हाेंने बताया कि राष्ट्रीय वयोश्री योजना में वरिष्ठ नागरिकों को उनकी मदद के लिए सामग्री उपलब्ध कराने के लिए देश के 126 जिलों में 132 शिविर लगाए गए हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और जहां इनकी संख्या 500 से अधिक है अब तक ऐसे 9,556 गांवों का चयन कर लिया गया है जिन्हें 2024-25 तक आर्थिक सहयोग दिया जायेगा। इन वर्गों के लिए 2013-2014 के दाैरान 35,800 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था जो अब बढ़ाकर 83,256़ 62 करोड़ रुपए कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार दिव्यांगों के कल्याण को लेकर काफी गंभीर है और इस बार दिव्यांग वर्गों का बजट 1,325़ 39 करोड़ रुपए रखा गया है और उनके लिए श्रेणियाेें की संख्या सात से बढ़ाकर 21 कर दी गई है। पहले इन वर्गों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की नौकरियों में मात्र तीन प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर चार प्रतिशत किया गया है। इनके लिए उच्च शिक्षा में पहले आरक्षण की व्यवस्था तीन प्रतिशत थी जो अब बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार छह वर्ष से कम उम्र के ऐसे मूक-बधिर बच्चों को जिनके लिए चिकित्सक ने काकलियर इम्प्लांट की सलाह दी है, केन्द्र सरकार छह लाख रुपए की सहायता दे रही है और अब तक ऐसे 2,555 बच्चों को यह आर्थिक सुविधा दी जा चुकी है। इनमेें से दो हजार से अधिक बच्चे सुनने और बाेलने लगे हैं। जाे लाेग चलने में सक्षम नहीं है उन्हें केन्द्र सरकार तिपहिया मोटर साइिकल दे रही है जिनकी कीमत 37 हजार रुपए है, लेकिन सरकार इस पर भी 25 हजार रुपए की सब्सिडी दे रही है तथा 15,581 ऐसे दिव्यांगों को यह सुविधा दी जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि कानपुर में जर्मनी की कंपनी के सहयोग से आधुनिक हाथ और पांव बनाए जा रहे हैं और इनकी मदद से व्यक्ति न केवल लिख सकता है बल्कि चाय का कप भी उठाकर पी सकता है तथा आधुनिक पांव की मदद से ‘जंपिंग’ भी की जा सकती है।
गहलोत ने बताया कि सुगम्य भारत याेजना के तहत देश में विभिन्न इमारतों और हवाई अड्डों, सार्वजनिक कार्यालयों में दिव्यांगोें के लिए लिफ्ट और रैंप का निर्माण किया जा रहा है। इन वर्गों के लोगों के लिए कौशल विकास भी किया जा रहा है। अब तक एक लाख 87 हजार दिव्यांगों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा चुका है। दिव्यांग विकास वित्त निगम के तहत ऐसे लोगों के लिए ऋण सीमा पांच लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी गई है।
इसके अलावा इन लोगों के लिए पहले जिला आधार पर परिचय पत्र बनाए जाते थे जो सिर्फ राज्य के एक ही जिले में मान्य थे, अब केन्द्र सरकार ऐसे परिचय पत्र बना रही है जो पूरे देश में मान्य हाेंगे और केन्द्र तथा राज्य सरकार की सभी सुविधाओं का फायदा इन्हें मिल सकेगा। अब तक 49 लाख दिव्यांगों को ऐसे नए परिचय पत्र मिल चुके हैं।