नई दिल्ली । रात के अंधेरे में खामोशी के साथ कदम-दर-कदम जवान आगे बढ़ रहे थे। पहाड़ों और जंगल के बीच उनकी आहट भी कोई भांप नहीं सकता था। हर किसी जवान की निगाहें सीधे अपने टार्गेट पर लगी थीं। मकसद था देखो और मारो। जवान जब अपनी टार्गेट वाली जगह पर पहुंचे तो वहां पर उन्हें जो आतंकी दिखाई दिया उसको उन्होंने ढेर कर दिया। इस पूरे ऑपरेशन में कई आतंकी मारे जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ सभी भारतीय जवान तेजी के साथ हैलीकॉप्टर पर सवार होकर वापस अपनी सीमा में सुरक्षित लौट जाते हैं। ये कहानी फिल्मी नहीं बल्कि हकीकत है और ये हकीकत है भारतीय जवानों द्वारा पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की। भारत के सैन्य इतिहास में ऐसा गिनीचुनी बार हुआ है जब भारतीय सेना के जवानों ने सीमापार जाकर अपने दुश्मनों का खात्मा किया। उरी में सेना के कैंप पर हुए हमले के बाद जो नजारा बदला और भारतीय सेना ने इसका जिस तर्ज पर बदला लिया वह वास्तव में काबिले तारीफ था। उरी हमले के वक्त सेना प्रमुख ने साफ कहा था कि जवानों की मौत का बदला जरूर लिया जाएगा, लेकिन इसके लिए समय और जगह भारत ही तय करेगा। सर्जिकल स्ट्राइक में यह सभी कुछ दिखाई दिया।
इस सर्जिकल स्ट्राइक से पहले भारत ने इसको अंजाम देने के लिए अपने बेहतरीन जवानों को चुना। सीमापार जाकर दुश्मन को ढेर करने की बाकायदा प्रैक्टिस की गई। इसके बाद इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन में जाने वाला हर जवान स्पेशलाइज्ड कमांडो फोर्स से ताल्लुक रखता था। ऑपरेशन के दौरान सभी जवानों के पास काफी मात्रा में असलाह था। सभी के सिर पर एक स्पेशल हैलमेट था जो उनकी हिफाजत के साथ-साथ वहां मौजूद चीजों को रिकॉर्ड भी कर रहा था। सभी जवान एक दूसरे से जुड़े होने के अलावा बेस कमांड से जुड़े हुए थे। इस पूरी टीम के कमांडिंग ऑफिसर के मुताबिक इस ऑपरेशन में गए सभी जवानों का मकसद बेहद साफ था कि दुश्मन के इलाके में आतंकियों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए और उन्हें खत्म कर दिया जाए।
कमांडिंग ऑफिसर के अलावा इस टीम में शामिल दूसरे जवान का कहना था कि ऑपरेशन पर जाने वाले टीम के हर सदस्य को इस बात की जानकारी थी कि वह किस खतरनाक मिशन पर जा रहा है। सभी जवानों के पास हाईली सॉफेस्टिकेटेड वैपसं थे। मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सैटेलाइट की मदद ली गई थी। आतंकियों की पॉजीशन जानने के लिए सैटेलाइट को ही माध्यम बनाया गया था। यह एक ऐसा ऑपरेशन था जिसने रातों-रात पाकिस्तान सरकार समेत वहां की आर्मी और वहां मौजूद आतंकी और उनके आकाओं की नींद उड़ाने का काम किया था। इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जहां सेना के साथ मिलकर आतंकी कैंपों की जगह बदल दी थी वहीं भारतीय जवानों के खौफ से आतंकी कांपने भी लगे थे।
आपको बता दें कि 18 सितंबर 2016 की सुबह करीब पांच बजे जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि सैन्य बलों की कार्रवाई में हमला करने वाले सभी चार आतंकी मारे गए थे। यह भारतीय सेना पर किया गया, लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था। फिदायीन हमले के बाद आतंकियों ने सोते हुए जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। इसके बाद ही सर्जिकल स्ट्राइक करने का मन बनाया गया था जिसे उरी हमले के 11 दिन बाद 29 सितंबर 2016 को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था।
इस सफल ऑपरेशन में जवानों ने आतंकियों के 7 शिविरों को ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 38 आतंकियों को भी मार गिराया था। सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल सेना के स्पेशल फोर्सेस यूनिट के 4 पैरा और 9 पैरा के कमांडिंग अधिकारियों को युद्ध सेवा पदक नवाजा गया था। इस यूनिट में शामिल जवानों को कीर्ति चक्र, युद्ध सेवा मेडल भी दिया गया था। यह ऑपरेशन साढ़े 12 बजे रात में शुरु हुआ और सुबह साढे चार बजे तक चला था। इस दौरान अभियान में शामिल जवान नियंत्रण रेखा के उस पार करीब दो किलोमीटर तक रेंगेते हुए आतंकी ठिकानों तक पहुंचे थे और ये पूरा ऑपरेशन 2-3 किलोमीटर के इलाके में चलाया गया था। भारतीय जवानों द्वारा पाकिस्तान में की गई इस सर्जिकल स्ट्राइक को अब हिस्ट्री चैनल एक डॉक्यूमेंटरी बनाकर सभी के सामने पेश कर रहा है। यह डॉक्यूमेंटरी सोमवार 22 दिसंबर 2018 को रात 9 बजे प्रसारित की जाएगी।
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