गंगा आमंत्रण अभियान के समापन समारोह
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 5 साल के अंदर गंगा को लेकर इतना बड़ा परिवर्तन होना सराहनीय प्रयास का परिणाम है। आज नमामि गंगे प्रोजेक्ट से गंगा के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। गंगा की अविरलता और निर्मलता को कायम रखने के लिए आमजन को इस अभियान से जुड़ना आवश्यक है।
शुक्रवार को जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित गंगा आमंत्रण अभियान के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शाह ने कहा कि गंगा को यदि नदी की दृष्टि से देखा जाए, इसके किनारे रहने वाले लोगों की आबादी की दृष्टि से देखा जाए तो इसका महत्वट कम समझ में आएगा, लेकिन गंगा हजारों साल से न केवल भारत, बल्कि दुनिया को बहुत कुछ देने वाली संस्कृति की परिचायक है। यही कारण है कि गंगा के प्रति बहुत अधिक श्रद्धा है। घर-घर में गंगाजल मिलता है। यह श्रद्धा और विश्वास खड़े होने में बहुत वर्ष लगे हैं।
उन्होंने कहा कि इसी गंगा से सभ्यता का निर्माण हुआ है, जो अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ समाज में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली सभ्यता है। भाषा, विज्ञान, धार्मिक अनुसंधान या अध्यात्म की बात हो या संस्कागर की बात हो, समग्र विश्व के अंदर भारतीय संस्कृति सबसे ज्यादा देने वाली संस्कृति रही है और इस संस्कृति का प्रतीक गंगा है।
शाह ने कहा कि गंगा का नाम लेते ही बड़ी जनसंख्या के मन में पूज्य भाव आता है, श्रद्धा आती है और विशेष प्रकार का लगाव उत्पन्न होता है। गंगा के 2300 किलोमीटर से ज्यादा लंबे किनारे पर करोड़ों लोगों को जीवन मिलता है। गंगा नदी ने अपने किनारे हजारों गांवों, शहरों और महानगरों को जीवन दिया है। भारत के अध्यात्म, ज्ञान, संस्कृति और भारतीय अर्थतंत्र में गंगा का विशेष स्थानन है। उन्होंधने कहा कि गंगा को सदैव मां की दृष्टि से देखा गया है और मां को सजाना, संवारना उसका संरक्षण करना हम सबका दायित्व है। भारत का इतिहास गंगा के बिना संभव नहीं है।
शाह ने कहा कि हजारों साल से यह मान्यता थी कि गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप दूर होते हैं, लेकिन गंगा का जल दूषित होने के कारण इसमें डुबकी लगाने में भी झिझक होने लगी थी। 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ करने के उपाय किए।
प्रधानमंत्री ने समग्र देशवासियों को नमामि गंगे अभियान से जोड़ा है। यह केवल ढांचा खड़ा करने का प्रयास नहीं था, केवल प्रदूषण रोकने का अभियान नहीं था। नमामि गंगे का अभियान देश के अंदर संस्काथर निर्मित करना और आने वाले हजारों सालों तक गंगा को कोई दूषित न करे, ऐसा प्रयास था। प्रधानमंत्री मोदी ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट। में समग्र देशवासियों को शामिल किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि गंगा आमंत्रण अभियान ने बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा और जागरूक किया है। इस अभियान ने आने वाली पीढ़ियों को संस्कार देने का काम किया है। नमामि गंगे की सफलता तभी पूरी होगी, जब हम 15 साल से कम उम्र के बच्चों के मन में गंगा के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करेंगे, संरक्षण और संवर्धन का संस्कार पैदा करेंगे। उन्होंकने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कई अभियान चलाए गए हैं।
शाह ने बताया कि वर्ष 1985 से 2014 तक 4000 करोड़ रुपए खर्च किए गए और 2014 के बाद 20,000 करोड़ खर्च कर गंगा को स्वच्छ बनाने का काम किया गया। 116 प्रोजेक्ट आज पूरे हो चुके हैं। आने वाले समय में गंगा की सहायक नदियों को भी संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। 2020-21 के बजट में जल शक्ति मंत्रालय को 30700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
शाह ने नमामि गंगे प्रदर्शनी का उद्घाटन और गंगा आमंत्रण अभियान संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने गंगा आमंत्रण दल के सदस्यों को पुरस्कृत भी किया। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गृह मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने गंगा आमंत्रण अभियान से जुड़े सभी व्यक्तियों का धन्यवाद दिया।