नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से आज बाहर कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सहमति के एक फैसले में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 377 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को निरस्त कर दिया।
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने अलग -अलग परंतु सहमति का फैसला सुनाया। ये याचिकाएं नवतेज जोहार एवं अन्य ने दायर की थीं। इन याचिकाओं में धारा 377 को चुनौती दी गयी थी।