नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि ईमानदार करदाता की राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है और जब ईमानदार करदाता का जीवन आसान बनता है, वह आगे बढ़ता है तो देश विकास करता है तथा आगे भी बढ़ता है।
मोदी ने 21वीं सदी की नई कर व्यवस्था का पारदर्शी कराधान -ईमानदार का सम्मान प्लेटफार्म का लोकार्पण करते हुए कहा कि देश में चल रहा ढांचागत सुधार का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि एक दौर था जब हमारे यहां सुधारों की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और पहुंच दोनों बदल गई है।
उन्होंने कहा कि अब करदाता को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानि आयकर विभाग को अब करदाताओं के गौरव का उसकी संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। अब करदाता की बात पर विश्वास करना होगा और विभाग उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता।
“प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें। सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रक्रिया और अधिकार केंद्रित पहुंच से बाहर निकालकर उसको जन केंद्रित और जन मित्र बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा किआज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा आज से देश में करदाता चार्टर लागू हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार करदाता राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।
मोदी ने कहा कि बीते छह वर्षों में हमारा जोर गैर बैकिंग को बैंकिंग, असुरक्षित को सुरक्षित और पैसा न मिलने वाले को धन मुहैया कराना रहा है। उन्होंने कहा कि आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है।
मोदी ने लोगों से ईमानदारी से कर अदा करने की अपील करते हुए कहा कि जो कर देने में सक्षम हैं, लेकिन अभी कर दायरे में नहीं है, वो स्वप्रेरणा से आगे आएं, ये मेरा आग्रह है और उम्मीद भी। आइए, विश्वास के, अधिकारों के, दायित्वों के, प्लेटफॉर्म की भावना का सम्मान करते हुए नए भारत, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करें।
प्रधानमंत्री ने सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लिए सुधार का मतलब है, सुधार नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, समग्र हो और एक सुधार दूसरे सुधार का आधार बने, नए सुधार का मार्ग बनाए और ऐसा भी नहीं है कि एक बार सुधार करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है।
मोदी ने कहा कि इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है, लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अब भी बहुत कम है। इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही आयकर जमा करते हैं।
उन्होंने कहा कि आयकर रिटर्न स्क्रूटनी का चार गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है। बीते छह वर्षों में भारत ने कर प्रशासन में गवर्नेंस का एक नया मॉडल विकसित होते देखा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-13 में जितने आयकर रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 प्रतिशत की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 प्रतिशत पर आ गया है यानी आयकर रिटर्न मामलों की स्क्रूटनी, करीब-करीब चार गुना कम हुई है।
करदाता चार्टर को देश के विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम बताते हुए श्री मोदी ने कहा अभी तक होता ये है कि जिस शहर में हम रहते हैं, उसी शहर का कर विभाग कर से जुड़ी सभी बातों को देखता है। स्क्रूटनी हो, नोटिस हो, सर्वे हो या फिर ज़ब्ती हो, इसमें उसी शहर के आयकर विभाग की, आयकर अधिकारी की मुख्य भूमिका रहती है।
उन्होंने कहा सरकार की कोशिश ये है कि हमारी कर प्रणाली निर्बाध हो, पीड़ारहित हो, चेहरारहित हो। मोदी ने कहा कि निर्बाध यानी कर प्रशासन, हर करदाता को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे। पीड़ारहित अर्थात प्रौद्योगिकी से लेकर नियमों तक सबकुछ सरल हो।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में कर भी कम किया है। पांच लाख रुपए की आय पर अब कर शून्य है। बाकी स्लैब में भी कर कम हुआ है। कंपनी कर के मामले में हम दुनिया में सबसे कम कर लेने वाले देशों में से एक हैं।
मोदी ने कहा अब उच्च न्यायालय में एक करोड़ रुपए तक के और उच्चतम न्यायालय में दो करोड़ रुपए तक के मामले की सीमा तय की गई है। ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले न्यायालयों से बाहर ही सुलझ जाए।
मोदी ने जहां जटिलताएं होती है, वहां अनुपालन भी मुश्किल होता है। कम से कम कानून हो, जो कानून हों, वो बहुत स्पष्ट हो तो करदाता भी खुश रहता है और देश भी। बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है। अब जैसे, दर्जनों करों की जगह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आ गया है।
उन्होंने कहा देश के कर तंत्र में मूलभूत और ढांचागत सुधारों की ज़रूरत थी क्योंकि हमारा आज का ये तंत्र गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे दुरुस्त हुआ। आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन कमोबेश तंत्र का स्वरूप वही रहा।