सबगुरु न्यूज। ईसवीं नववर्ष 2019 सामान्य जन के लिए मध्यम फल देने वाला ही रहेगा। इस वर्ष शनि के राजा होने व सूर्य के मंत्री होने से कार्यो में व्यवधान उत्पन्न होंगे। आतंकवाद की स्थिति बढ़ेगी। सैन्य बलों द्वारा सशक्त कार्यवाही की जाएगी तथा देश व दुनिया में युद्ध जैसे हालात बनने लगेंगे। प्राकृतिक प्रकोप बढेंगे। विश्व स्तर पर राजनीतिक उथल पुथल मची रह सकती है। राजनीति को इस वर्ष विशेष रूप से चुनौतियां का सामना करना पडेगा। ऐसे संकेत आकाशीय ग्रहों से मिलतें हैं।
ईसवीं नववर्ष का प्रारंभ 31 दिसम्बर से रात्रि को बारह बजे शुरू हो जाता हैं और उसी के साथ 1 जनवरी शुरू हो जाती है। इन मान्यताओं में रात्रि 12 बजे बाद नया दिन शुरू हो जाता हैं जो अगली रात्रि 12 बजे तक रहता है और उसके 24 घंटे पूरे हो जाते हैं। बाद पुनः नया दिन शुरू हो जाता हैं।
हिन्दु पंचाग की मान्यताओं में सूर्योदय से दिन माना जाता है और दूसरे सूर्योदय तक 24 घंटों का दिन रात माना जाता है। हिन्दुओं का नववर्ष तारीख़ पर आधारित नहीं है। उसे मास पक्ष और तिथि पर निर्धारित किया है और चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष माना जाता है और ज्योतिष के पंचाग भी उसी अनुरूप बनाए जाते है। सभी कार्यो का आधार व्यवहार में ईसवीं तारीख़ें ही होती है इस कारण ईसवीं नववर्ष को विश्व में मनाया जाता है।
नव ईसवीं सन् 2019
31 दिसंबर 2018 की रात 12:00 बजे नया ईसवी सन 2019 शुरू हो गया। इस समय आकाश में ग्रह नक्षत्र की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी की जाने की प्रथा है। 31 दिसम्बर की रात्रि को 12 बजे बाद 1 जनवरी 2019 शुरू हो जाती है और उसी के समय हम आकाश के ग्रहों के क्या योग बने हैं, अगले नववर्ष तक बदलते इन आकाशीय ग्रहों के योग क्या बोलते हैं, किसी भी क्षेत्र के विषयों पर इसकी जानकारी ज्योतिष शास्त्र देता है।
आकाश के ग्रह क्या बोलते हैं इन्हीं संकेत के आधार पर विश्व के सभी क्षेत्रों में चाहे धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक क्या प्रभाव पड सकते हैं कि भविष्यवाणी की जाती है।
1 जनवरी 2019 नव ईसवीं सन के दिन पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि तथा मंगलवार होगा। स्वाति नक्षत्र पर चंद्रमा स्थित होगा। कन्या लग्न में शुरू होने वाले नए वर्ष सन 2019 कि रात 12 बजे कन्या राशि का लग्न होगा।
नव वर्ष के प्रारंभ में तुला राशि में शुक्र व चन्द्रमा भ्रमण कर रहे हैं और वृश्चिक राशि मे गुरु व बुध ग्रह धनु राशि में सूर्य व शनि ग्रह व कर्क राशि में राहू तथा मकर राशि में केतु तथा मीन राशि में मंगल ग्रह भ्रमण कर रहे हैं।
लग्न से देश की जनता की सामान्य स्थिति, राष्ट्र की उन्नति,आतंरिक व्यवस्था व लीडरों की स्थिति देखी जाती हैं। इस वर्ष की लग्न कुंडली में मंगल आठवे स्थान के स्वामी होकर सातवें घर में बैठ कर लग्न अर्थात पहले स्थानो को देख रहे हैं तथा यहां शनि ग्रह की भी दृष्टि पड रही हैं।
राहू की भी नवम दृष्टि मंगल ग्रह पर पड रही है इस कारण लग्न दूषित होकर राष्ट्र की उन्नति को प्रभावित कर रहे हैं और लीडरों को भी भावी अनिष्ट के भय का डर बैठा रहे हैं। लग्न का स्वामी बुध ग्रह गुरु के साथ तीसरे स्थान में देश की जनता को आरोग्य ओर अमन चैन शांति की ओर ले जाने के संकेत दे रहे हैं पर दोनों पर राहू की पांचवी दष्टिजन सामान्य को अनजाना डर बैठा रहीं हैं। आंतरिक व्यवस्था को मंगल प्रभावित कर रहे हैं और भय का माहौल बना रहें हैं और युद्धारंभ के स्वर दे रहें हैं।
दूसरे भाव से देश के व्यापार बैंक सरकारी जमा वसूली धन ओर कर की स्थिति देखी जाती है। यहां शुक्र अपनी राशि में बैठे हैं और चन्द्रमा भी लाभेश हो कर बैठे हैं लेकिन मंगल ग्रह की दृष्टि इन्हे पीड़ित कर रही है। नवीन व्यापार धंधे प्रारंभ होते हैं। बैंक टैक्स ओर सरकारी वसूली इनकी स्थिति समाधान कारक बन जाती हैं लेकिन मंगल ग्रह की दृष्टि अन्य करो को बढा कर व्यापार धंधे को चोपट कर देतीं हैं। यहां चन्द्रमा व्यापार खेती की उन्नति करता है देश की धन उत्पादक धंधों में प्रगति होतीं हैं। मंगल की दृष्टि कई प्रकार के वित्तीय घोटालों को उजागर करती है तथा बैंक व वितीय संस्थान अपने मूल स्वरूप को खो देते हैं।
तृतीय भाव से रेल डाक तार लेखक प्रेस फसल हानि शेयर बाजार आदि की स्थिति देखी जातीं हैं। रेल्वे डाक तार विभाग की उन्नति होती है तथा समाचार पत्र पत्रिकाओ ओर लेखनव शिक्षण का विकास होता है यहां वृहस्पति ग्रह तत्व ज्ञान विद्यालय शास्त्रीय शोध संस्थान व धर्म की उन्नति करवाते हैं लेकिन राहू की इन पर पांचवी दृष्टि इन में बाधा डाल कर विवाद की स्थिति भी उत्पन्न कर रही है। इन क्षेत्रों में राहू जाँच करता हुआ कई राज उजागर करता है।
चोथे भाव से खेती आवास भूमि यातायात विपक्ष खनिज सम्पदा सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्यो की स्तिथि देखीं ज़ाती है। यहां सूर्य ओर शनि ग्रह बैठे हुए हैं जो लोक पक्ष ओर राजपक्ष के बीच सम्बन्ध खराब रखता है और सरकार की परेशानियों में वृद्धि होती है और चुनाव हार संभव हो जातीं हैं। नए कानून जनता को परेशानी मे डालते हैं। वर्षा असमान वितरण करते हुए कहीं सूखा ओर कही बाढ़ की स्थिति बना देते हैं तथा एक फसल ठीक रहतीं हैं और दूसरी में नुकसान होता है। चोथे भाव का स्वामी भी राहू से पीड़ित हैं तथा अपने स्थान के लाभ में कमी कर रहा है।
पांचवे घर से सिनेमा फिल्म व्यवसाय व फिल्मों के कलाकार गायन तथा जन्म मृत्यु दर विद्यालय पूजा उपासना आदि की स्थिति का भान होता है। यहां केतु की उपस्थिति यहां पर बुराईयों को उत्पन्न कर इन क्षेत्रों को विवाद ग्रस्त कर रही है ओर फिल्म सितारों को सूर्य शनि लांछित कर रहेहैं और मंगल राहू का अप्रत्यक्ष सम्बन्ध अनहोनी की दर को बढा रहा है।
छठे भाव से अस्पताल बीमारी स्वास्थ्य सेना श्रम व मजदूर कर्ज तथा विदेशी सहायता आदि की जानकारी मिलतीं है।यह भाव शनि का है और वह अपने स्थान को तीसरी दृष्टि से देख रहा है ओर बीमारियों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है। सभी क्षेत्रों में पीड़ित शनि को आंशिक ही सफलता मिल रहीं हैं। इस स्थान को केतु व मंगल ग्रह ने घेर रखा है इसलिए सेना सदा युद्ध के लिए तैयार ही रहेगी और श्रमिकों को उचित लाभ नहीं मिल पायेगा। विदेशी सहायता में भी आंशिक सफलता ही मिलतीं है।
सातवे भाव से पर राष्ट्रीय सम्बन्ध विदेशी व्यापार युद्ध विवाद विवाह व तलाक़ राजनैतिक व पुलिस कारवाई ओर सार्वजनिक सम्बन्ध को देखा जाता है। सातवे भाव का स्वामी बृहस्पति हैं और उसकी दृष्टि भी सातवें स्थान पर पड रही है। यहां मंगल ग्रह की अशुभ फल दे रहा है। इन समीकरणों से विदेशी व्यापार व सम्बन्ध कमजोर ही रहेगे। सीमा पर पर राष्ट्रों के विवाद से युद्ध की स्थितियां बन जायेंगी। कानून व्यवस्था को चुनोती मिलेंगी ओर विवाह व तलाक़ की दर बढ जाएगी। लोभ लालच सार्वजनिक सम्बन्ध को बिगाड़ने का काम करेंगे।
आठवें भाव से खून-खराबा आत्माहत्या रोग कठिनाईयों ओर अनहोनी घटनाक्रम को देखा जाता है। इस स्थान का स्वामी मंगल ग्रह मारक भाव में बैठे हैं तथा इस स्थान पर शुक्र व चन्द्रमा की दृष्टि है जो इन सब में अनहोनी करतीं हुईं बच्चो व महिलाओं को पीड़ित रोग से करती हैं। और अनहोनी की दर को बढा रही है।
नवमे भाव से धर्म न्याय क़ानून धर्माचार्य विज्ञान हवाई यात्रा विदेश यात्रा ओर म॔त्री ओर मंत्री मंडल आदि की स्थिति देखी जातीं हैं। यहां बुध ओर गुरु ग्रह की दृष्टि इन सब क्षेत्रों में विकास कर रहीं हैं पर केतु की पंचम दृष्टि बुराईयां उत्पन्न कर रही है ओर मिलने वाले लाभ को घटा रही हैं।
दशम भाव से राजा राज घराना सरकार ओर सतारूढ दल सत्ता राजस्व व देश प्रमुख की स्थिति देखी जातीं हैं। इस स्थान का स्वामी बुध अपने भाव से षठे भाव मे फंस कर कमजोर हो रहा है ओर इस स्थान पर सूर्य शनि की विवादित दृष्टि इन सब को कमजोर कर संकटों में डाल रही है तथा कई शासकों को सत्ता से वंचित कर रही है तथा प्रमुख व्यक्तियों की कमी कर रही है।
एकादश भाव से पार्लियामेंट लोक सभा राज्य सभा विधान सभा क़ायदे क़ानून ओर सहायता की स्थिति देखी जातीं हैं। यहां राहू की उपस्थिति इन सब को बाधापूर्ण बनाये हुए हैं गुरु ग्रह की दृष्टि यहां बिचित्रता में एकता का सम्बन्ध बना कर समायोजन की राजनीति कर रहे हैं। इस स्थान का स्वामी चन्द्रमा अपने शत्रु शुक्र ग्रह के साथ बैठे अपने मित्र मंगल से भी तनाव पूर्ण बने हुए हैं। कुल मिलाकर यह क्षेत्र पीड़ित हो रहा है।
बारहवे भाव से जेल, गुनहगार, हत्याएं, विदेशी जासूस, काला बाजार और कर्ज की अदायगी देखी जातीं हैं। इस स्थान का स्वामी सूर्य है जो शनि ग्रह से मान प्रतिष्ठा और सम्मान को खो चुका है और इन सब क्षेत्रों पर समाज विरोधी व्यवहार को बढा रहा है।
कुल मिलाकर वर्ष 2019 के ग्रह सामान्य जनता के लिए मध्यम फल देने वाले ही योग बना रहे हैं ओर वर्षा भी सामान्य ही रहेगी। कही पर अत्यधिक मात्रा में वर्षा ओर कहीं पर सूखे की स्थिति बनाये रखेगी। आर्थिक स्थिति में शनैः शनैः सुधार होगा। धार्मिक मामलों में गतिरोध उत्पन्न होगा। जनता मे असंतोष धरणा प्रदर्शन व आन्दोलन बढेंगे। राजनीति में इस वर्ष विशेष परिवर्तन के योग बने हैं। सत्ता पक्ष को भारी चुनौतियों का सामना करना पडेगा। देश ओर दुनिया की राजनीति में भारी उलट पलट होने के योग शनि गुरु व मिथुन राशि के राहू करवा सकते है। ऐसी मान्यताएं ज्योतिष शास्त्र की है। सत्य तो परमात्मा जानता है यह तो ग्रहों के संकेत है।
सौजन्य : ज्योंतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर