अजमेर/मांगलियावास। राजस्थान में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से मांगलियावास स्थित सांई कृपा पेट्रोल पंप पर ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के उपलक्ष्य में गुरुवार को प्रदर्शनी लगाई गई तथा देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय सेना के रिटायर्ड कैप्टन मांगू सिंह, विशिष्ट आतिथ सूबेदार बीजा सिंह व कैप्टन फूल सिंह थे। अध्यक्षता मांगलियावास सरपंच दुर्गेन्द्र सिंह गौड़ ने की। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया।
इससे पहले अतिथियों ने विभाजन विभीषिका स्मृति प्रदर्शनी दीर्घा का फीता काटकर उदघाटन कर अवलोकन किया। प्रदर्शनी में विभाजन के दौरान घटित हदय विदारक घटनाओं का चित्रण किया गया है। एचपीसीएल के एरिया सेल्स मैनेजर नमोनारायण मीणा ने उपस्थित सेवानिवृत सैनिकों का सम्मान किया। वरिष्ठ नागरिकों ने आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरण सुनाए।
इस मौके पर मीणा ने कहा कि आजादी के ऐन पहले हमने विभाजन का दर्द सहा है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस देश को पिछली सदी में बहुत बड़ी संख्या में मानव आबादी के विस्थापन की याद दिलाती है, इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी।
उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे में जान गंवाने वाले हजारों भाई बहनों, उनके संघर्ष और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। प्रदर्शनी का अवलोकन 14 अगस्त तक किया जा सकेगा। उन्होंने 13 से 15 अगस्त को हर घर तिरंगा फहराने की भी अपील की।
इस अवसर पर एचपीसीएल के वरिष्ठ मैनेजर नमोनारायण, जिला परिषद सदस्य दिलीप पचार, कैप्टन मांगू सिंह, फूल सिंह रावत, सूबेदार बीजा सिंह, विशाल सिंह, हवलदार बीरम सिंह, नारायण सिंह रावत, सरपंच दुर्गेंद्र सिंह गौड़, सचिव कोपरेटी नरेंद्र सिंह रावत, जेठाना के टिल्लू शर्मा, मांगलियावास के प्रबुद्धजन सहित ग्रामीण मौजूद थे।
क्यों मनाया जाता है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
गौरतलब है कि भारत के निवासियों ने लाखों कुर्बानियां देकर ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। लेकिन भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया।
दरअसल, 14 अगस्त 1947 का दिन इतिहास का एक गहरा जख्म है। यह वही दिन है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। बंटवारे की शर्त पर भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। इस विभाजन में भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े किए। इस बंटवारे ने बंगाल का भी विभाजन किया गया जिसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया जो 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बना।
भारत का बंटवारा सबसे खूनी घटनाक्रम का दस्तावेज बन गया। दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों रात लाखों लोग अपने ही देश में बेगाने हो गए और मजहब के आधार पर लाखों लोग न चाहते हुए भी जानें को मजबूर हुए। इस अदला-बदली में लाखों लोगों का कत्लेआम, सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गया। यह किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था।