नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मध्यप्रदेश में किसानों की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से तथ्यहीन एवं असत्य करार दिया और गांधी की जानकारी के स्तर पर सवाल किया कि आखिर वह कब जानेंगे और समझेंगे।
जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि हर बार, संसद में और संसद के बाहर, जब मैं राहुल गांधी के विचार सुनता हूं तो मैं खुद से यही पूछता हूं कि वह कितना जानते हैं? वह कब जानेंगे? उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आज उनका भाषण सुन कर उनकी यह जिज्ञासा और बढ़ गई कि क्या उन्हें पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती है अथवा फिर वह तथ्यों को लेकर अत्यंत लापरवाह हैं। उनके भाषण के छह बिन्दु ऐसे हैं जो उनकी इस धारणा को मज़बूत करते हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर देश के 15 शीर्ष उद्योगपतियों के ढाई लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ करने का आरोप लगाया है जो तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह असत्य है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी उद्योगपति का एक रुपया भी माफ नहीं किया है। सच एकदम अलग है।
जिनके पास भी बैंकों एवं अन्य ऋणदाताओं का बकाया है, उन्हें दिवालिया घोषित किया गया है और उन्हें मोदी सरकार द्वारा बनाए गए दिवाला एवं शोधन कानून के तहत उनकी कंपनियों से बेदखल कर दिया गया है। दरअसल उन्हें ये ऋण संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय दिए गए थे।
राहुल गांधी ने मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान गोलीकांड की बरसी पर आयोजित किसान समृद्धि संकल्प रैली में अपने संबोधन में मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उन्होंने 15 लोगों का ढाई लाख करोड़ रुपए माफ किया है लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं किया।
जेटली ने कहा कि राहुल गांधी ने दूसरी बात कही है कि ऋण केवल उद्योगपतियों को दिए जा रहे हैं किसानों को नहीं। यह बात भी पूरी तरह से तथ्यात्मक रूप से गलत है। संप्रग के शासनकाल खासकर संप्रग-द्वितीय के कार्यकाल में वर्ष 2008 से 2014 के बीच बैंकों की भारी भरकम राशि कर्ज़ में दी गई जो आज एनपीए बन गई है। जबकि 2014 से हम एक के बाद एक कदम उठा कर उस धन को वापस लाए हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का तीसरा आराेप था कि प्रधानमंत्री ने दो हीरा व्यापारियों में हर एक को 35 हजार करोड़ रुपए का ऋण दिया जो अब देश छोड़कर फरार हो गए है। यह बात भी पूरी तरह से तथ्यविहीन है। बैंकों से उनकी धोखाधड़ी 2011 में आरंभ हुई थी जब संप्रग द्वितीय का शासनकाल था। इस घोटाले का पता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के समय लगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि गांधी का यह कहना कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो चीन में बनने वाले मोबाइल फोन भारत में बनेंगे, उनके ‘अपर्याप्त ज्ञान’ की निशानी है। उन्होंने कहा कि 2014 में संप्रग सत्ता से बाहर हुई थी तब केवल दो मोबाइल फोन कंपनियां भारत में फोन बनाती थीं।
मोदी सरकार की इलैक्ट्राॅनिक नीति एवं चार साल में उन्हें दी गई रियायतों के फलस्वरूप वर्ष 2018 में एक लाख 32 हजार करोड़ रुपए के निवेश से 120 कंपनियां मोबाइल फोन देश में विनिर्माण कर रहीं हैं।
जेटली ने कहा कि गांधी ने पांचवां आरोप यह लगाया है कि देश में रोज़गार सृजित नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में आये सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े इस बात की पुन: पुष्टि करते हैं कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। निर्माण, विनिर्माण के विस्तार, पूंजी में वृद्धि में दहाई के अंक में वृद्धि से पता चलता है कि निवेश बढ़ा है। ग्रामीण भारत में आधारभूत ढांचे में भारी निवेश हुआ है। ये रोज़गार बढ़ाने वाले कारक हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने खेतों एवं गांवों को शहरों से जोड़ने का दावा करके यह जाहिर किया है कि उनके मन में मध्य प्रदेश की छवि दिग्विजय सिंह युग की है। मध्यप्रदेश में 2003 में जब कांग्रेस ने सत्ता छोड़ी थी जब राज्य की सड़कों की दशा देश में सबसे खराब थी और उसके सत्ता से बेदखल होने के प्रमुख कारणों में एक यह भी था। शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ग्रामीण सड़कों पर निवेश संप्रग के शासनकाल की तुलना में तिगुना हुआ और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में क्रांति हुई।
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