Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
आत्मनिर्भर भारत योजना में कितना सफल हो पाएगा ग्रामीण क्षेत्र - Sabguru News
होम Business आत्मनिर्भर भारत योजना में कितना सफल हो पाएगा ग्रामीण क्षेत्र

आत्मनिर्भर भारत योजना में कितना सफल हो पाएगा ग्रामीण क्षेत्र

0
आत्मनिर्भर भारत योजना में कितना सफल हो पाएगा ग्रामीण क्षेत्र
How successful rural areas will be in the self-sufficient India scheme
How successful rural areas will be in the self-sufficient India scheme
How successful rural areas will be in the self-sufficient India scheme

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 3 दिनों से लगातार 20 लाख करोड़ पैकेज की खूब जोर शोर से घोषणाएं कर रही हैं। लगातार 3 दिनों से बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरे देश को बता रही हैं कि हम इन योजनाओं के सहारे आत्मनिर्भर भारत बनाने जा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कितना लाभ दे पाएगी यह आने वाला समय बताएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के राहत पैकेज का बताते हुए अपनी सरकार का गुणगान किया है। उन्होंने कुल 9 घोषणाएं कीं। इनमें से 3 घोषणाएं प्रवासी मजदूर, 2 छोटे किसानों और एक-एक घोषणा मुद्रा लोन, स्ट्रीट वेंडर्स, हाउसिंग और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार से जुड़ी थीं। ग्रामीण भारत में केंद्र सरकार की कृषि योजनाएं इस प्रकार हैं।

8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को अगले दो महीने तक मुफ्त राशन। अगले तीन महीने में एक देश-एक राशन कार्ड। प्रवासी मजदूरों को कम किराए के मकान मिलेंगे। मुद्रा लोन लेने वालों को राहत। 6 लाख से 18 लाख की सालाना आमदनी वालों को हाउसिंग लोन पर सब्सिडी। 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 5 हजार करोड़ रुपए। 2.5 करोड़ किसानों के लिए 2 लाख करोड़। किसानों के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की मदद। आदिवासियों के रोजगार के लिए हैं।

3 करोड़ किसानों के लिए 4 लाख 22 हजार करोड़ का कृषि ऋण पहले ही दिए जा चुके हैं। 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड की मंजूरी दी है, जिस पर ऋण की लिमिट 25 हजार करोड़ रुपए होगी। गांव में कॉपरेटिव बैंक रूरल और रीजनल बैंक रूरल को मार्च 2020 में नाबार्ड ने 29 हजार 500 करोड़ रुपए के रिफाइनेंस का प्रावधान किया है। ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4,200 करोड़ रुपए का सहयोग रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के माध्यम से राज्यों को मार्च में राशि उपलब्ध कराई गई।

इस बार भी किसानों को जमकर छूट दी गई है

किसानों को दिए गए ऋण पर इस बात की छूट दी गई है कि 3 महीने तक किसी तरह का ब्याज नहीं देना है। कृषि के क्षेत्र में पिछले मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख ऋण मंजूर किए गए, जिसका अमाउंट लगभग 86 हजार 600 करोड़ रुपए है। फसल की खरीद के लिए 6,700 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी भी राज्यों को उपलब्ध कराई गई। फसल कटाई, कोल्ड चेन, स्टोरेज सेंटर जैसी ‘फार्म गेट’ सुविधाएं मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की फाइनेंसिंग की जाएगी।

एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रायमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी और खेती से जुड़े स्टार्ट-अप्स को यह मदद दी जाएगी। माइक्रो फूड एंटरप्राइज के लिए 10 हजार करोड़ रुपये। लोकल के लिए वोकल के नारे को ध्यान में रखते हुए माइक्रो फूड एंटरप्राइज को 10 हजार करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी ताकि वे फूड स्टैंड्‌डर्स का ध्यान रखते हुए ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर सकें। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए 20 हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए मछली पालन और 9 हजार करोड़ रुपए बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने के लिए मिलेंगे।

गांववासियों को इस योजना के प्रति जागरूक भी रहना होगा तभी उनको लाभ होगा

पशुपालन सेंटरों के लिए बुनियादी ढांचा बनेगा। इस पर 15 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। डेयरी चलाने वालों को। इस पैसे से दूध के लिए प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगेंगी। डेयरी सेक्टर में निजी इन्वेस्टमेंट हो सकेगा। औषधीय पौधों के लिए 4 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। हर्बल प्रोड्यूस के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मेडिसिनल प्लांट की खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। 10 लाख हेक्टेयर यानी करीब 25 लाख एकड़ में खेती हो पाएगी। यही नहीं मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। शहद की सप्लाई बढ़ेगी।

किसानों के लिए यह उनकी आमदनी का अतिरिक्त जरिया होगा। टमाटर, आलू और प्याज के मामले में ऑपरेशन ग्रीन चलता है ताकि किसानों को इसका ठीक पैसा मिले। अब यह योजना फल और सब्जियों पर भी लागू होगी। यह उन किसानों को फायदा मिलेगा, जो आलू, प्याज और टमाटर के अलावा फल और सब्जियां भी उगाते हैं, लेकिन जिन्हें कई बार इनके सही दाम नहीं मिल पाते। यही नहीं एक केंद्रीय कानून बनेगा ताकि किसानों के पास अच्छी कीमतों पर उपज बेचने का मौका रहेगा।

इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में कितना रोजगार मिल सकेगा

उन किसानों काे, जो अब तक लाइसेंस रखने वाली एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी में ही अपनी उपज बेच पाते थे। किसान दूसरे राज्यों में जाकर भी बिना रोकटोक कृषि उपज बेच सकेंगे। वे ई-ट्रेडिंग भी कर सकेंगे। किसानों के लिए कानून में बदलाव होंगे। किसानों को अभी फसल बोते वक्त यह नहीं पता होता कि उसे इसके कितने दाम मिलेंगे और पूरी उपज बिकेगी या नहीं।

सरकार चाहती है कि हर सीजन से पहले किसानों को यह पता रहे कि उसे अपनी उपज का कितना दाम मिलेगा। किसानों को आमदनी की गारंटी देने के लिए सरकार कानून में बदलाव कर ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिसके तहत फूड प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, रिटेलर्स और एक्सपोर्टर्स के साथ किसान अपनी उपज का दाम पहले ही तय कर सकेगा। मकसद यह है कि मेहनती किसानों का उत्पीड़न न हो और वे जोखिम रहित खेती कर सकें। ऐसे ही केंद्र सरकार की ओर से तमाम योजनाएं ग्रामीण भारत के लिए दी जाएंगी जिससे गांव में बसर करने वाले लोग रोजगार को बढ़ावा दे सकें।

मजदूरों-कामगारों ने लॉकडाउन में इतनी परेशानी उठाई है शायद शहर न लौटें

कुछ सपनों को लेकर गांव से शहर जाने वाले ग्रामीणों को कोरोना वायरस ने अपने घर की दहलीज पर ला दिया है। रोजी-रोटी की जुगत में कभी गांव न आने वाले लोग भी अब अपनी माटी पर आ गए हैं। कोरोना वायरस ने इस समय शहरों को वीरान, तो गांवों को गुलजार कर दिया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड के गांवों से लोग रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, हैदराबाद सहित दूसरे राज्य गए थे।

इस महामारी ने शहरों में ऐसे हालात पैदा कर दिए कि चाहे संगठित या असंगठित हो काम करने वाले कभी भूल नहीं पाएंगे। हम सबसे पहले बात करें देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की। यहां से लाखों लोग 20 दिनों से अपने अपने गांव पैदल ही लौटने लगे हैं इनमें से अधिकांश लोग ऐसे हैं जो कि पैदल ही लौट रहे हैं। लाखों की संख्या में आज लोग अपने गांव लौट रहे हैं लेकिन कई संकल्प लेकर एक संकल्प शायद कि अब अधिकांश लोग इनमें से दोबारा शहरों की ओर नहीं जाएंगे।

यह भी पढें
श्रीराम को काल्पनिक कहने वाली कांग्रेस की दृष्टि मंदिरों के स्वर्णाभूषण पर?
औरैया में भीषण सड़क हादसा,24 प्रवासी मजदूरों की मौत, 35 घायल
देरी से EPF जमा कराने वाले संस्थानों पर नहीं लगेगा जुर्माना
पानी और खून साथ नहीं बह सकते : चिनाब नदी के प्रवाह पर पाक को शेखावत की खरी-खरी
एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाले के लिए क्वारेंटाइन अनिवार्य नहीं
निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश के लिए अभिभावकों की आय सीमा होगी ढाई लाख