सबगुरु न्यूज। लिंग थापि विधिवतकरी पूजा, शिव समान प्रिय मोहि न दूजा इस चौपाई में शिव की महत्ता का वर्णन समाहित है। लंका पर आक्रमण करने से पूर्व भगवान श्रीराम ने शिवलिंग की विधिवत स्थापना कर उसका पूजन किया। उसके बाद सेतु निर्माण कर लंका के राजा रावण को मार डाला और विजय प्राप्त की।
लिंग पुराण के अनुसार लिंग प्रतीक या चिन्ह है। जिसके मूल से ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर महेश का वास है व इसकी वेदी जलहरी में सरस्वती, लक्ष्मी व पार्वती स्थित है। अतः सभी देवों की समुच्चय पूजा एक साथ हो जाती है इसलिए इसे महादेव कहते हैं। किसी भी पूजा का प्रारंभ दीपक जलाने से होता है व इसमे ज्योति, लिंग का प्रतीक है व शिव को पावन कल्याणकारी कहा है।
गरूड पुराण के अनुसार विभिन्न प्रयोजनार्थ व पूजा अर्चना हेतु विविध पदार्थों से करीब 40 प्रकार के शिवलिंग बनाए जाते हैं।
1. कस्तूरी और चंदन से बना शिवलिंग शिवकृपा, शांति व जीवन में सफलता देता है।
2. फूलों से बनाया गया शिवलिंग भूमि मकान का लाभ देता है।
3. जौ, गेहूं, चावल तीनों का आटा समान मात्रा में मिलाकर जो शिवलिंग बनाया जाता है उसकी पूजा स्वास्थ्य, धन और संतान सुख देती है।
4. मिश्री से बने हुए शिवलिंग की पूजा बीमारी से छुटकारा देती है।
5. सोंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर जो शिवलिंग बनाया जाता है उसका प्रयोग वशीकरण सिद्धि साधन में किया जाता है।
6. भीगे तिल को पीस कर बनाया गया शिवलिंग अभिलाषा पूर्ति करता है।
7. यज्ञ कुंड से ली गई भस्म से जो शिव लिंग बनता है उसको पूजन अभीष्ट देने वाला होता है।
8. किसी से प्रेम बढ़ाने के लिए गुड़ की डली से शिवलिंग बना कर पूजन करना चाहिए।
9. सुख शांति की प्राप्ति के लिए खांड शक्कर की चाशनी से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
10. बांस के अंकुर को शिवलिंग के समान काट कर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है।
11. दही को कपड़े में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे जो शिवलिंग बनता है उसका पूजन धन लाभ और सुख समृद्धि देने वाला होता है।
12. गुड में अन्न चिपका कर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन अधिक होता है।
13. किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसकी पूजा करने से वाटिका में अधिक फल आते हैं।
14. आंवले को पीसकर बनाया गया शिवलिंग मुक्ति प्रदाता होता है।
15. नवनीत को अथवा वृक्षों के पत्तों को पीसकर बनाया गया शिवलिंग स्त्री के लिए सौभाग्य दाता होता है।
16. दूर्वा को शिव लिंग आकार गूंथ कर उस की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
17. कपूर से बने शिवलिंग का पूजन भक्ति और मुक्ति देता है।
18. नीलम से बने शिवलिंग का पूजन सिद्धि देता है।
19. मोती के शिवलिंग का पूजन स्त्री के भाग्य में वृद्धि करता है।
20. चांदी का शिवलिंग धन-धान्य बढ़ाता है।
21. स्वर्ण निर्मित शिवलिंग समृद्धि में वृद्धि करता है मुक्ति प्रद होता है।
22. पीतल का शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता है।
23. लहसुनिया रत्न का शिवलिंग शत्रुओं का नाशक होता है विजय दाता होता है। इसी प्रकार स्फटिक तथा अन्य रत्नों का शिवलिंग मनुष्य को भी कामनाएं प्रदान करता है।
24. पारद से बने शिवलिंग की शास्त्रों में बहुत प्रशंसा है इसे ज्योतिर्लिंग में भी श्रेष्ठ माना गया है। इसका पूजन सर्व कामप्रद मोक्ष प्रद व शिव स्वरूप बनाने वाले हैं यह मस्त पापों का नाश करके जीवो को संसार के संपूर्ण सुख एवं मोक्ष देता है
25. बहुत बड़ा ,बहुत पतला ,बहुत छोटा जिस पर धारियां हो ऐसा लिंग भी पूजा के लिए उपयुक्त नहीं होता है ।
26. बादल के समान श्याम रंग का शिवलिंग की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है ।
27. कमलगट्टे के बराबर शिव लिंग या जामुन के फल के बराबर शिव लिंग गृहस्थ के घर में रख कर पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
28. पीले रंग का , श्वेत नीले रंग का संतरे के समान रंग वाला शिवलिंग भी श्रेष्ठ माना जाता है किंतु जिसमें अनेक रंग हो उसे नहीं लिया जाना चाहिए।
29. जो गेहूं व चावल से निर्मित शिवलिंग पुत्र लाभ व धन पुष्टि हेतु प्रयुक्त होता है।
30. हरताल त्रिकटु के लवण से निर्मित शिवलिंग वंशीकरण हेतु प्रयुक्त होता है।
31. स्वच्छ कपीतवर्ण के गौवर से निर्मित शिवलिंग ऐश्वर्या हेतु प्रयुक्त होता है।
32 पीतल व कांसे से निर्मित शिवलिंग मुक्ति हेतु प्रयुक्त होता है।
33 सीसे निर्माण शिव लिंग शत्रु नाश हेतु प्रयुक्त होते हैं।
34 अष्ट धातु से निर्मित शिवलिंग सर्व सिद्धि वृद्धि हेतु प्रयुक्त होता है ।
35 अषट लोह धातु से निर्मित शिवलिंग कष्टनाशक होता है ।
36 स्फटिक से निर्मित शिवलिंग सर्व कार्य सिद्धि हेतु प्रयुक्त होता है।
37. तिल पिष्टोत्थ से निर्मित शिवलिंग अभिलाषा सिद्धि हेतु प्रयुक्त होता है।
38. केशो से निर्मित शिवलिंग सर्व शत्रु नाशक होता है।
39. सीता खंडमय से निर्मित शिवलिंग आरोप गया लाभ हेतु प्रयुक्त होता है ।
40 दूध दही से निर्मित शिवलिंग कीर्ति लक्ष्मी व सुख हेतु प्रयुक्त होता।
अपनी कामना के अनुसार व्यक्ति इच्छित फलों की प्राप्ति करता है ऐसी मान्यता पुराणों की है।
सौजन्य : भंवरलाल