अलवर। राजस्थान में अलवर जिले के सरिस्का में पाण्डुपोल हनुमान मेले का आज आगाज के साथ ही श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा।
सरिस्का बाघ परियोजना के अंदर तीन किलोमीटर पथरीले पथ पर जब आस्था के हजारों पग पड़े तो राह शूल भी फूल बन गए। इस दौरान अंजनी पुत्र के जयकारों से धार्मिक पथ बार बार गुंजायमान होता रहा। इसमें युवाओं के साथ ही बुजुर्गों का उत्साह भी देखने को मिला।
चिलचिलाती धूप में सूखते कंठ के बीच भी कोई पीछे नहीं हटा। फिर चाहे हरियाणा से आए हों या अलवर से सभी के पग आस्था का केंद्र हनुमानजी महाराज के धाम की ओर खिंचते चले जा रहे थे।
जैसे जैसे घड़ी की सुई दस बजे का आंकड़ा पार कर रही है तो सूर्य रश्मियां भी अपना तेज बरसा रही है, लेकिन आस्था का रेला थमने का नाम नहीं ले रहा था। यह पाण्डुपोल हनुमानजी के प्रति आस्था का ही असर था कि सूरज की तपिश के साथ ही कारवां भी बढ़ता गया। न उन्हें सूरज का तेज डिगा पाया और न ही उबड़-खाबड़ राह। आखिर मंदिर में पहुंच कर ढोक लगाया।
श्रद्धालुओं में बुजुर्गों की संख्या भी युवाओं से कम नहीं रही। इनमें कुछ बुजुर्ग ऐसे भी शामिल रहे जिनके लिए लाठी ही बुढ़ापे का सहारा दिखी। इसके बावजूद उनके उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिली। पेड़ों की छाया में थोड़ी राहत लेकर आगे चलते रहे।
पाण्डुपोल हनुमान जी महाराज की प्रक्रीमा में संगीतमय सुंदरकांड पाठों का भक्तों ने बैठ कर जमकर आनंद लिया। ढडोती लगाते हुए बजरंग बली के जयकारों से आगे बढ़ रहे थे। मेला मजिस्ट्रेट अमित कुमार वर्मा उप मेला मजिस्ट्रेट रोहिताश पारीक व शांति व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा।