लंदन। ब्रिटेन में लंदन की अदालत ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की अपील पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उसे बड़ी राहत दी है। लंदन के रॉयल्स कोर्ट ऑफ जस्टिस ने उसकी याचिका को प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है।
माल्या भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में वांछित है। अगर न्यायालय का फैसला उसके खिलाफ जाता, तो माल्या को 28 दिनों के भीतर भारत प्रत्यर्पित करना पड़ता।
विजय माल्या ने अदालत में कहा कि मैं खुश हूं कि मैं पहली नज़र में विजयी दिख रहा हूं। माल्या ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि भारत में अगर कोई व्यवसाय में असफल रहता है, तो प्रमोटर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया जाता है। माल्या ने अपनी सफाई में आगे कहा कि भारत सरकार की ओर से मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए है जिनका कोई आधार नहीं है।
लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के प्रशासनिक न्यायालय डिवीजन की दो-न्यायाधीश पीठ ने अप्रैल में दायर अर्जी पर सुनवाई की थी। मामले की सुनवाई के लिए अदालत में दाखिल होने से पहले माल्या ने कहा था कि वह अच्छा महसूस कर रहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान माल्या के वकील ने कहा कि जो भी दस्तावेज हैं, उनमें ऐसा कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंकों को माल्या की वित्तीय स्थिति की पूरी जानकारी थी।
गौरतलब है कि विजय माल्या ने भारत लौटने की जगह कुछ और समय तक ब्रिटेन में रहने के लिए याचिका दायर की थी। भारतीय जांच एजेंसियां लगातार माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही हैं। अब इस अपील के रद्द होने के बाद उनके पास अंतराष्ट्रीय अदालत या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जाने का रास्ता साफ हो गया है।
माल्या 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लॉड्रिंग मामले में भारत में वांछित है। माल्या वर्ष 2016 में भारत से फरार हो गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिशों में लगी हुई हैं।