अजमेर। बंटा हुआ समाज एकात्म नहीं हो सकता इसलिए इस देश में न्याय आधारित व्यवस्था बनाना आवश्यक था। भारत का संविधान राष्ट्र की एकता और एकात्मता के लिए बनाया गया है। यह बात मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सामाजिक समरसता प्रमुख रमेश पतंगे ने अपने उद्बोधन में कही।
हम और हमारा सविंधान पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के तहत इन्डोर स्टेडियम में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता आवश्यक है। संविधान सिर्फ नियमावली, दर्शनमात्र नही बल्कि कानून की सबसे बडी पुस्तक है। जब तक इसकी मूल आत्मा नहीं समझेंगे तब तक संविधान को नहीं समझा जा सकता। संविधान की आत्मा उसकी प्रस्तावना में समाहित है।
पतंगे ने भारत के संविधान के निर्माण से लेकर विश्व की प्रमुख शासन पद्वतियों और संविधानों से ली गई प्रेरणा पर भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की मूल भावना वसुद्वैव कुटुम्बकम और विश्व शांति की भावना रही है। हम और हमारा संविधान पुस्तक संविधान की आवश्यकता क्यों जैसे प्रश्न से प्रारंभ होकर संविधान को राष्ट्र की आधारशिला बताते हुए बाबा साहेब डाॅ अम्बेडकर के योगदान की चर्चा करती है।
पुस्तक में संविधान की उद्देषिका, आरक्षण, समरसता, जीवन जीने के अधिकारों की विस्तृत चर्चा की गई है। राज्य के संविधान में बदलाव की संभावनाएं तथा 42वें संविधान संशोधन पर विशेष चर्चा की गई है। भारत और अमरीका के संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन भी एक अध्याय में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक में संवैधानिक राष्ट्रवाद और अराजकता का भी वर्णन किया गया है।
विमोचन से पूर्व राजस्थान क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड ने संविधान की आवश्यकता क्यो विषय को विस्तार से रखा। उन्होंने मूल संविधान की अनुपलब्धता पर आश्चर्य व दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मूल संविधान में भारतीय प्राचीनतम इतिहास परम्परा व दर्शन के सजीव चित्राकन हैं। उन्होंने सामाजिक चेतना की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि बदलते परिवेश के अनुसार संविधान को परिभाषित व परिमार्जित किया जा सकता है।
भारत में जीवन मूल्यों को धर्म कहा जाता है, किन्तु वर्तमान समाज में ‘भारत तेरे टुकडे होंगे‘ जैसे नारे लगाए जाने की स्वतंत्रता सहन की जा रही हैं। समाज में जागरूक विमर्श की आवश्यकता बताते हुए राठौड ने विमोचन की गई पुस्तक हम और हमारा सविंधान को प्रांसंगिक बताया।
कार्यक्रम के अंत में चित्तौड प्रांत संघ चालक जगदीश राणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन विभाग सह सम्पर्क प्रमुख निरंजन शर्मा ने किया। विभाग संघ चालक बसंत विजयवर्गीय ने सभी का आभार व्यक्त किया।