जयपुर। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि वह कभी टकराव नहीं चाहते लेकिन वह वह ही काम कर सकते है जो संविधान के अनुकूल हो।
धनखड़ आज यहां राजस्थान विधानसभा में राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ (सीपीए) (राजस्थान शाखा) के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजयपाल का अधिकार एवं दायित्व है कि जो जानकारी मांगी जाये उसे मिले। वह ढाई साल से वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल है लेकिन अथक प्रयास करने के बाद भी उन्हें एक भी जानकारी प्रेषित नहीं की गई जो मेरी चिन्ता का विष्य और सीपीए के लिए चिंतन का विषय है।
इसका कोई न कोई रास्ता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें स्टेट फाइनेंस आयोग की रिपोर्ट नहीं दी गई और वह विधानसभा नहीं जा सकी। पूछा गया तो कहा गया कि इससे किसी का नुकसान नहीं हुआ। मैने कभी सार्वजनिक और निजी जीवन में टकराव की नहीं सोची, मै आज पवित्र सदन से यह बात कह रहा हूं।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल को कानून बनाकर नये काम दे देते हैं तो टकराव स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि इसमें सीपीए को मदद करनी चाहिए कि इस प्रकार न हो। उन्होने कहा कि मैंने बहुत बार कहा और मुख्यमंत्री को बुलाकर, कहा कि आप जानीमानी नेता हैं ऐसे नेता गिने चुने देश में हैं, उनमें गहलोत भी है। मैंने कहा कि केन्द्र जो सुझाव देगा मैं उसे गंभीरता से लूंगा और मैं संविधान के अनुसार काम करुंगा। मैं किसी के कहने पर भी संविधान की मर्यादा का उल्लघंन नहीं करुंगा।
उन्होंने कहा कि कई बार टकराव अज्ञानता के कारण होता है। उनके पास निवेदन आया कि विधानसभा आहुत कर दो। गृह सचिव से पूछा कि अनुरोध का वैधानिक कारण् तो बताये तो मुख्य सचिव ने लिखकर भेज दिया। उन्होंने कहा कि मैं वह ही काम कर सकता हूं जो संविधान के अनुकूल है। उन्होंने कि जब राज्यपाल कटघरे में होता तो मीडिया का सहयोग नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डा भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि अगर प्रशासनिक व्यवस्था लॉ से भटक जाती है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात होता है भारत के संविधान में हर पद की गरिमा का ध्यान रखा गया है कोई कितने बड़े पद पर है वह संविधान के दायरे में शपथ लेता है।
उन्होंने कहा कि आज आप पर कुछ आरोप लग सकते है और राज्यपाल को पार्टी का एजेंट भी कहा जा सकता है, इस पर वह भटक जाये और कमजोरी दिखाए तो शपथ के प्रति सही नहीं हो सकता है। पीड़ा होती है, चिंतन की बात हैं चिंता करता हू कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री कैसे सार्वजनिक तौर पर लड़ सकते है। मेरा अथक प्रयास रहता है और आगे भी रहेगा कि उनका प्रमुख दायित्व है कि सरकार की मदद करुं पर एक हाथ में संभव नहीं है, यह हालात देख रहा हू जो चिंता का विष्य है। ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिसका समाधान बातचीत से नहीं हो।
उन्होंने कहा कि मेरे लिए राजस्थानी होने के नाते यहां पर आना एक ऐसा अवसर जो जिंदगी भर नहीं भूल पाउंगा। उन्होंने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी का इसके लिए आभार जताते हुए कहा कि आज बोलने पर जो विष्य का चयन हुआ कि संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल और विधायकों की भूमिका इसका महत्व है।