नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर पिछले लगभग एक साल के घटनाक्रम के बीच वायु सेना उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अपना अब तक का सबसे बड़ा युद्ध अभ्यास करने जा रही है।
‘गगन शक्ति 2018’ नाम के इस अभ्यास में पहली बार वायु सेना के साथ साथ नौसेना तथा थल सेना भी संयुक्त अभ्यास में अपने जौहर दिखाएंगी। इस दौरान वायु सेना सभी तरह के क्षेत्रों रेगिस्तान, अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों और समुद्री क्षेत्र में लड़ाई की स्थिति में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेगी। वायु सेना की मारक क्षमता का पर्याय माने जाने वाले विशेष कमांडो गरूड इस अभ्यास के केन्द्र में होंगे।
वायु सेना के सूत्रों के अनुसार 10 से 23 अप्रेल के बीच शुरू होने वाले इस अभ्यास की निश्चित तारीख तय नहीं की गयी है क्योंकि इसका उद्देश्य किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए ‘शाॅर्ट नोटिस’ पर तैयार रहने का अभ्यास करना है। वायु सेना प्रमुख ‘शाॅर्ट नोटिस’ पर इस अभ्यास को शुरू करने का आदेश देंगे और कुछ घंटों के भीतर ही वायु सेना को इस कसौटी पर खरा उतरना होगा।
वायु सेना इस अभ्यास में अपनी पूरी ताकत झौंकने में जुटी हुई है और इस दौरान उसके सभी तरह के लड़ाकू और मालवाहक विमानों , हेलिकॉप्टरों तथा ड्रोन विमानों को मिलाकर लगभग 1100 विमान अपने रण कौशल का प्रदर्शन करेंगे।
ये विमान अभ्यास के दौरान युद्ध की वास्तविक स्थिति में दिन – रात लगभग पूरे देश की हवाई सीमा तथा समुद्री क्षेत्र के उपर 3 से 4 हजार उडान भरेंगे। अभ्यास में वायु सेना के 3000 अफसर और 15000 वायु सैनिक हिस्सा लेंगे जो लंबे समय से इसकी तैयारियों में जुटे हैं।
वायु सेना के एक अधिकारी ने नाम न बताए जाने की शर्त पर कहा कि अभ्यास का उद्देश्य किसी को संदेश देना नहीं बल्कि क्षमताओं को परखना है और इसमें हथियारों की मारक क्षमता तथा इनके अचूक निशाने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही रण कौशल की कमियों को दूर कर इन्हें निखारना भी इसका उद्देश्य है।