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IAS-IPS पोस्ट जिम्मेदारी भरी, दोनों की कितनी होती है सैलरी और रुतबा - Sabguru News
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IAS-IPS पोस्ट जिम्मेदारी भरी, दोनों की कितनी होती है सैलरी और रुतबा

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IAS-IPS पोस्ट जिम्मेदारी भरी, दोनों की कितनी होती है सैलरी और रुतबा
IAS-IPS post filled responsibility, both how much salary and status
IAS-IPS post filled responsibility, both how much salary and status
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जयपुर। हमारे देश के पढ़े लिखे जवान चाहे वह इंजीनियर हो या एमबीए करने वाले सभी विद्यार्थियों की पहली पसंद आईएएस-आईएस आज भी माना जाता है। लेकिन इसके लिए इसकी परीक्षा पास करने के लिए बहुत ही कठिन मेहनत करनी पड़ती है आइए जानते हैं इसके क्या-क्या नियम है।

आईएएस और आईपीएस का रुतबा हमारे देश में काफी बड़ा होता है। कई कठिन परीक्षाओं को पास करने के बाद इन पदों पर जाकर नियुक्ति मिलती है। संघ लोक सेवा आयोग यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन में मिली रैंकिंग के जरिए ही उम्मीदवारों को आईएएस या आईपीएस की पोस्ट मिल पाती है। हालांकि आईएएस और आईपीएस दोनों ही पोस्ट बेहद जिम्मेदारी भरी होती हैं और देश के एडमिनिस्ट्रेशन को चलाने में इनकी बड़ी अहम भूमिका होती है।

आईएएस ऑफिसर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का काम संभालते हैं और इसके साथ पॉलिसी मेकिंग और एक्जीक्यूशन भी इन्हीं को कराना होता है। आईपीएस, कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी आईपीएस की होती है और अपने जिले के अंतर्गत आने वाले सभी इलाकों की लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी भी आईपीएस की ही होती है।

आईएस रैंक के ऑफिसर बन सकते हैं डीएम किसी भी जिले के जिलाधिकारी या डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट की पोस्ट पर आईएस ही बैठ सकता है। आईपीएस रैंक के ऑफिसर एसपी बन सकते हैं। आईपीएस रैंक के ऑफिसर किसी शहर के सुप्रीटेंडेट ऑफ पुलिस यानी एसपी बन सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आईएस और आईपीएस की सैलरी में से आईएएस की सैलरी ज्यादा होती है।

इस समय का सैलरी स्ट्रक्चर देखें तो आईएस की सैलरी 56,100 रुपये से लेकर ढाई लाख रुपये तक के बीच हो सकती है। वहीं आईपीएस की सैलरी भी 56,100 रुपये महीना से लेकर सवा दो लाख रुपये के बीच रहती है।

जनपद में डीएम और एसपी की रहती है सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी-

डीएम को जिले का सर्वोच्च अधिकारी भी कहा जाता है वहीं एसपी को जिले में कप्तान भी कहते हैं। यह दोनों पोस्ट ही किसी भी जनपद के लिए हर एक समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चाहे जनपद की सुरक्षा व्यवस्था का मामला हो या शहर की स्थिति क्या है इसको भी नियंत्रण करने में कप्तान और डीएम लगे रहते हैं कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आते हैं तो सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर रहती है।

डीएम और एसपी की सबसे बड़ी समस्या यह रहती है कि यह मुख्यमंत्री या मंत्रियों के आगे नतमस्तक है। इनके लिए सबसे बड़ा बड़ी समस्या यह है कि इनका जल्दी-जल्दी ट्रांसफर हो जाना जिससे यह कुछ असहज भी महसूस करते हैं। पिछले कुछ वर्षो से इसी से परेशान होकर कई नौकरशाहों ने अपनी नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया था।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार