बर्मिंघम। आईसीसी विश्वकप के लिए भारतीय टीम में दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर जब दिनेश कार्तिक का चयन हुआ था तो उस समय चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद ने साफतौर पर कहा था कि कार्तिक को दबाव में खेलने के उनके अनुभव के कारण ही युवा रिषभ पंत पर प्राथमिकता दी गई है।
विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ रविवार को मुकाबले में जब अंतिम एकादश में रिषभ पंत को शामिल किया गया तो कार्तिक का दबाव में खेलने का सारा अनुभव सिरे से नज़रअंदाज हो गया। पंत को ओपनर शिखर धवन के चोटिल होकर विश्वकप से बाहर हो जाने के बाद भारतीय टीम में शामिल किया गया है।
पंत विश्वकप टीम के साथ घोषित पांच वैकल्पिक खिलाड़ियों में शामिल थे। पंत की आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार और पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने पंत को विश्वकप टीम में शामिल किए जाने की जोरदार वकालत की। पंत को विश्वकप टीम में जगह न मिलने के बाद काफी सवाल भी उठे थे।
भारतीय कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री ने विश्वकप के लिए रवाना होने से पूर्व पंत को न चुने जाने पर कहा था कि कार्तिक को उनके अनुभव के कारण ही टीम में जगह दी गई है। कार्तिक को भारत के पहले छह मैचों में एकादश में जगह नहीं मिल पाई। लेकिन सातवें मैच में पंत को कार्तिक पर तरजीह देते हुए एकादश में शामिल कर लिया गया।
टीम इंडिया के ऑलराउंडर विजय शंकर को उनके पैर के अंगूठे में परेशानी के कारण इस मैच में नहीं उतारा गया और उनकी जगह पंत को दी गई। पंत को शामिल किए जाने के पीछे एकमात्र यही कारण बताया जा रहा है कि वह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं। लेकिन चयनकर्ता प्रमुख प्रसाद ने जो अनुभव की बात की थी वह सिरे से नज़रअंदाज़ हो गई है।
कार्तिक टीम में पहले से मौजूद थे और वह भी अच्छे बल्लेबाज़ माने जाते हैं और पिछले वर्ष एशिया कप के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने आखिरी गेंद पर छक्का मारकर भारत को खिताबी जीत दिलाई। लेकिन जब विश्वकप में खेलने की बारी आई तो कार्तिक को एक बार फिर मायूस होना पड़ा।
ऐसा लगता है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली भी पंत की विस्फोटक बल्लेबाजी से काफी प्रभावित हैं। टॉस के समय उन्होंने पंत को विजय शंकर की जगह टीम में शामिल किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि हम सभी ने देखा है कि पंत बल्ले के साथ कितने खतरनाक हैं। वह निर्भय होकर खेलते हैं और एक बार जब वह अपनी लय में खेलने लगते हैं तो उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है।