सबगुरु न्यूज। पतंजलि के मुखिया बाबा रामदेव के द्वारा पिछले दिनों आनन-फानन में कोरोना वैक्सीन लॉन्च किए जाने के बाद एक बार फिर आईसीएमआर ने वही गलती दोहराई। अब आईसीएमआर अपने दावे पर पीछे हटता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना महामारी से मनुष्य पिछले कई महीनों से डर-डर कर अपनी जिंदगी जी रहा है। इस महामारी को लेकर भारत समेत दुनिया भर के तमाम वैज्ञानिकों ने जब यह बताया कि वैक्सीन ही इसके खात्मे का एकमात्र उपाय है। तभी से कोरोना के कहर से बचने के लिए करोड़ों लोगों में एक आशा की उम्मीद भी जाग रही है।
बता दें कि बीच-बीच में वैक्सीन तैयार होने को लेकर यह कहा जाता रहा कि यह तैयार कर ली गई है, लेकिन वे दावे तक ही सीमित रह गए। अभी 2 दिन पहले आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) ने पूरे देश भर में बड़े जोर-शोर के साथ यह दावा कर दिया कि भारत में वैक्सीन 15 अगस्त को लॉन्च कर दी जाएगी तो देश की जनता में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यही नहीं 7 जुलाई से वैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल के लिए भेज दिया जाएगा। लेकिन अब आईसीएमआर के 15 अगस्त के वैक्सीन लॉन्चिंग को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। मिनिस्ट्री ने साफ तौर पर कह दिया है कि कोरोना वैक्सीन एक साल से पहले लॉन्चिंग की कोई संभावना नहीं है।
सवाल यह उठता है कि आईसीएमआर और मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को वैक्सीन को बाजार मेंं उतारने को लेकर आपस में तालमेल क्यों नहीं बैठा पाए ? क्यों एक बार फिर से देश की जनता को भ्रमित किया गया। ऐसा ही अभी पिछले दिनों पतंजलि के मुखिया बाबा रामदेव ने भी सभी नियमों और मानकों को दरकिनार करते हुए ‘कोरोनिल वैक्सीन’ बाजार में लॉन्च कर दी थी। पतंजलि के इस वैक्सीन की लॉन्चिंग पर खुद आयुष मंत्रालय ने सवाल खड़े किए तब बाबा रामदेव को पीछे हटना पड़ा था।
वैक्सीन को पीएम मोदी के हाथों 15 अगस्त को लॉन्चिंग की कर ली थी तैयारी!
इसको दबाव कहे या जल्दबाजी। आईसीएमआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 15 अगस्त को इस को-वैक्सीन की लॉन्चिंग भी तय कर दी थी । मोदी भी वैक्सीन की लॉन्चिंग को लेकर आश्वस्त हो गए थे। जब आईसीएमआर के दावे की पोल खुल गई है तब विपक्ष के नेताओं ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी केसीताराम येचुरी ने कहा है कि आईसीएमआर ने उन संस्थानों का चयन कैसे किया है जो ट्रायल करेंगे?
उनमें से तीन निजी संस्थान हैं, जिनमें एक निजी व्यवसायी भी है, जिसका कोई संस्थागत पता नहीं है। येचुरी ने कहा है कि कोविड-19 के इलाज में एक स्वदेशी वैक्सीन बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानदंडों को दरकिनार करते हुए दबाव बनाया जा रहा है, ताकि स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी इसकी घोषणा कर सकें। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में अगर वैक्सीन को लांच किया गया था मनुष्य को भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है।
जब उठे सवाल तब आईसीएमआर सफाई देता फिर रहा है
सभी मानकों को दरकिनार कर अतिउत्साह में आकर आईसीएमआर ने इस को-वैक्सीन लॉन्च करने के दावे पर जब सवाल उठने लगे तब वह अपनी सफाई देता फिर रहा है। आपको बता दें कि आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ बलराम भार्गव ने दो जुलाई को प्रमुख शोधकर्ताओं को कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा था ताकि 15 अगस्त के दिन विश्व को पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके।
यही नहीं बलराम भार्गव देश को यह भी बताना चाहते थे कि विश्व में सबसे पहले वैक्सीन लाने वाले हम हैं, आनन-फानन में आईसीएमआर ने बाकायदा केंद्र सरकार और तमाम वैज्ञानिकों को वैक्सीन के बाजार में आने को लेकर पत्र भी जारी कर दिया था। इसी चक्कर में वह वैक्सीन की लॉन्चिंग को लेकर जल्दबाजी कर बैठे। अगले माह 15 अगस्त को वैक्सीन के लॉन्चिंग को लेकर मिनिस्ट्री के दरकिनार करने के बाद वैज्ञानिकों ने भी माना है कि भारत में यहां अगले साल से पहले आना संभव नहीं होगी। ऐसे निर्देशों ने भारत की सर्वोच्च मेडिकल शोध संस्था आईसीएमआर की छवि को धूमिल हुई है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार