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iconic atlas cycles finally pedals its way into history - Sabguru News
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एटलस साइकिल का इतिहास, जाने अब तक की कहानी

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एटलस साइकिल का इतिहास, जाने अब तक की कहानी

सबगुरु न्यूज। इस कंपनी ने देश के लोगों को साइकिल पर चढ़ना सिखाया। यह साइकिल कंपनी धीरे-धीरे हर वर्ग में लोकप्रिय होती चली गई। हम बात कर रहे हैं एटलस साइकिल कंपनी की। उस दौर में साइकिल का मतलब ही एटलस हुआ करता था। देश में पहले साइकिल कंपनी भी एटलस के नाम जाता है।‌ साइकिलों में सबसे दमदार भूमिका निभाने वाली एटलस कंपनी इतने खराब दौर में पहुंच जाएगी यह सोचा भी नहीं था। देश की आजादी के चंद सालों बाद ही यह साइकिल सड़कों पर दौड़ने शुरू हो गई थी। दुखद बात यह रही कि इसकी घोषणा विश्व साइकिल दिवस के दिन की गई है।

इस बार विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर एटलस कंपनी ने अपनी आखिरी यूनिट भी बंद कर दी, इस तरह साइकिल कंपनी इतिहास के पन्नों में समाहित हो गई। इसके साथ ही यह कई यादें भी छोड़ गई। लाखों लोगों का बचपन इसी साइकिल से बड़ा हुआ है। इस कंपनी की घर-घर में लोकप्रियता इस कदर बढ़ गई थी कि साइकिल को ही एटलस कहा जाने लगा था। लेकिन कहावत, जो ऊंचाई पर चढ़ता है वह गिरता भी है। उतार-चढ़ाव सभी के जीवन में आते रहते हैं, ऐसा ही एटलस कंपनी में भी आया।

1951 में एटलस कंपनी ने देश में साइकिल बनाने की थी शुरुआत

वर्ष 1951 में एटलस कंपनी ने भारत में साइकिल की नींव डाली थी। पाकिस्तान से आए इसके मालिक जानकी दास कपूर ने देश मेंं पहला प्लांट हरियाणा के सोनीपत मेंं लगाया था। इसके कुछ सालों बाद ही यह एटलस कंपनी भारत में तेजी के साथ घर-घर में पहुंच गई थी। फिर ऐसा भी आया की एटलस देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। इसी कंपनी ने भारत में साइकिल को बढ़ावा भी दिया। उसके बाद एटलस ने अपने देश भर में दो प्लांट भी लगाए। यह साइकिल निर्माता कंपनी पिछले कुछ वर्षोंं से आर्थिक तंगी से गुजर रही थी।

लेकिन देश में किसी को अनुमान नहीं कि यह साइकिल निर्माता कंपनी कितनी जल्दी दिवालिया हो जाएगी। एटलस कंपनी के साहिबाबाद केे आखिरी प्लांट में 2 जून तक सब कुछ सही चल रहा था। उसके अगले दिन ही कंपनी ने अचानक की इस साइकिल इस प्लांट बंद करने की घोषणा कर दी। अचानक एटलस कंपनी के इस फैसले को आर्थिक स्थित से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

गाजियाबाद के साहिबाबाद में एटलस का आखिरी प्लांट भी हुआ बंद

एटलस कंपनी के देशभर में 3 प्लांट हो गए थे। कंपनी यहां हर साल लगभग 40 लाख साइकल बनाती थी। धीरे-धीरे कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। कंपनी ने दिसंबर 2014 में मध्यप्रदेश के मालनपुर स्थित अपने प्लांट को बंद कर दिया। इसके बाद कंपनी ने फरवरी 2018 में हरियाणा के सोनीपत में अपनी निर्माण इकाई पर भी ताला जड़ दिया।

आप 3 जून को एटलस कंपनी ने अपना आखिरी प्लांट गाजियाबाद के साहिबाबाद में भी बंद कर दिया है। साहिबाबाद में फैक्ट्री 1989 से चल रही थी। लॉकडाउन से पहले हर महीने 2 लाख साइकिलें बनाई जा रही थीं। इस हिसाब से पूरे साल में कंपनी करीब 50 लाख साइकिलों को बनाती थी। यह आखरी प्लांट साहिबाबाद का बंद होने से लगभग एक है आज कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में अब एटलस साइकिल सिर्फ यादों के झरोखे में ही रहेगी।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार