पणजी। गोवा की राजधानी पणजी में बुधवार से शुरू हुए 50वें अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में 10 भारतीय भाषाओं की 11 ऐसी चर्चित फिल्में भी दिखाई जा रही है जिसने इस वर्ष 50 साल पूरे कर लिए।
इन फिल्मों में बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्म आराधना के अलावा सत्यकाम और भारत रत्न से सम्मानित फ़िल्म निर्देशक सत्यजीत रे की चर्चित फिल्म गोपी गायने बाघा बायने भी शामिल है। इनमें से कई फिमों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
नौ दिन तक चलने वाले इस समारोह में हिंदी और बंगला के अलावा तमिल, तेलगु, कन्नड़, असमी, मराठी, पंजाबी, उड़िया और मलयालम भाषा की चुनिंदा फिल्में भी दिखाई जाएगी जिनके निर्माण के 50 साल इस वर्ष हो गए। ये सभी फिल्में 1969 में बनी थी।
गौरतलब है कि यह स्वर्ण जयंती समारोह है। इसलिए इसमें ये फिल्में भी विशेष रूप से दिखाई जा रही हैं। इनमें मलयालम फ़िल्म आदिमकाल, असमी फ़िल्म डॉ बेजबरुआ, तमिल फिल्म इरु कोदुगल, पंजाबी फिल्म नानक नाम जहाज है, उड़िया फ़िल्म स्त्री, मराठी फिल्म तांबड़ी माती, कन्नड़ फ़िल्म उय्यैल और तेलगु फ़िल्म वाराकटनम शामिल है।
वराकटनम एनटी रामाराव की फ़िल्म है। नानक नाम जहाज में पृथ्वी राज कपूर और आई एस जौहर हैं। निर्देशक राम माहेश्वरी है। इरु कोदुगल में शिवाजी गणेशन है। इसके निर्देशक के बालाचंदर हैं। आराधना शक्ति सामंत की फ़िल्म है जिसमे राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर हैं। इसमें किशोर कुमार के गाने …मेरे सपनों की रानी कब आएगी… ने तब धूम मचा दी थी और यह गाना आज भी यादगार बना हुआ है।
सत्यकाम के निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी थे। इसमें धर्मेंद्र, संजीव कुमार एवं अशोक कुमार भी थे। इसके अलावा शर्मिला टैगोर भी थीं। नई पीढ़ी के दर्शकों को 50 साल पुरानी फिल्में देखने का यह अनुपम अवसर होगा।
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