सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही नगर परिषद के सभापति ताराराम माली की सिरोही विधानसभा सीट से एमएलए पद की दावेदारी अब खटाई में पड़ती नजर आ रही है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनके खिलाफ नौकरी में अनियमितता की एफआईआर दर्ज कर ली है।
इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से अब ओटाराम देवासी और लुम्बाराम चैधरी की सिरोही विधानसभा से दावेदारी की राह और आसान हो गई है, वैसे इन्हीं के जोड़ीदार जाति बंधु की वसुंधरा राजे के सिरोही आगमन पर मुलाकात को उनके समाज का दूसरा दावेदार होने का चर्चा भी इसी बीच चल निकली है। इस प्रकरण का खुलासा सबगुरु न्यूज ने किया था, जिसके बाद यह मामला सार्वजनिक हुआ और बाद में इसकी डीएलबी, लोकायुक्त और फिर एसीबी में जांच शुरू हुई।
सिरोही सभापति ताराराम माली और तत्कालीन आयुक्त लालसिंह राणावत के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में नियम के विरुद्ध दस लोगों को नौकरी देने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। सिरोही चैकी के प्रभारी अधिकारी जितेन्द्रसिंह मेड़तिया ने बताया कि 2015 में सिरोही नगर परिषद में अनियमित तरीके से भर्तियां की गई थी। इस मामले में पूर्व में पी दर्ज की गई थी। मुख्यालय से इस पर सिरोही सभापति और तत्कालीन आयुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
-यह है पूरा प्रकरण
सिरोही नगर परिषद में वर्ष 2015 में दस पदों पर नियुक्तियां की गई। इनमें से पांच जनों की नियुक्ति के लिए जनवरी, 2015 में विज्ञप्ति निकाली गई। फरवरी 2015 को जयंती चुन्नीलाल माली, लादारमा सादलाजी रेबारी, प्रवीणकुमार लालचंद दुलानी, जावानाराम छोगाराम माली को 2013 की डीएलबी के द्वारा स्वीकृत पदों का हवाला देते हुए सिरोही नगर परिषद के आयुक्त ने नियुक्ति आदेश प्रदान कर दिए।
इस प्रकरण में 25 फरवरी 2015 को नियुक्ति दी गई। 30 सितम्बर, 2013 के डीएलबीक े आदेश के क्रम में पद सृजित होने का हवाला देते हुए नियुक्ति दी गई। इसके बाद इसी तरह नियम विरुद्ध 23 जून 2015 को भंवरसिंह मोहनसिंह, भलाराम प्रभुराम, विरेन्द्रसिंह घनश्यामसिंह, ईश्वरलाल मोतीलाल, शारदा पत्नी धर्माराम भील की भी इसी तरह से नियुक्ति कर दी गई।
इस संदर्भ में एक गुमनाम शिकायत पर एसीबी जयपुर में 2 दिसम्बर, 2015 को पी दर्ज कर ली गई। इधर, डीएलबी ने भी इस प्रकरण की अपने स्तर पर जांच करवाई इसके लिए सिरोही के तत्काली उपखण्ड अधिकारी व नगर परिषद सिरोही के तत्कालीन आयुक्त की समिति गठित की गई।
इस समिति की जांच रिपोर्ट की एक टिप्पणी में सभापति को बचाने की स्पष्ट कोशिश नजर आ रही है, इसमें लिखा है कि इस प्रकरण में सभापति ने सिर्फ आयुक्त के हस्ताक्षर की अनुमोदना की है। वैसे समिति ने इस प्रकरण में नौकरियों को अनियमित माना।
सबगुरु न्यूज ने इस प्रकरण का खुलासा करने के बाद लगातार समाचार प्रकाशित किए, जिससे अक्टूबर, 2015 में ही शुरू में नियुक्त किए गए पांच कर्मचारियों का नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिया गया। बाद में ये न्यायालय जाकर स्टे ले आए।
सिरोही नगर परिषद के आयुक्त की लगातार पैरवी से ये स्थगन आदेश निरस्त हुआ और दसों कार्मिकों को निकाल दिया गया, लेकिन एसीबी वाला प्रकरण अभी भी जारी था। अब तक राजनीतिक रसूखातों से यह प्रकरण रुका रहा, लेकिन चुनाव की घोषणा से एक पखवाड़े पहले ही सभापति ताराराम माली और तत्कालीन आयुक्त लालसिंह राणावत के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
-लगातार दूसरे सभापति पर चुनाव पहले भ्रष्टाचार का प्रकरण
ताराराम माली सिरोही नगर परिषद के दूसरे सभापति हैं जो विधानसभा चुनाव में अपने समाज के चेहरे के रूप में प्रमुख प्रतिनिधि के तौर पर उभर कर आ रहे थे और इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का दाग लग गया। अपने एक साथी के साथ कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से सिरोही में की गई बातें राजनीतिक हलके में आने के बाद से ही चुनाव पूर्व ताराराम माली पर इस तरह की कार्रवाई का कयास लगाया जा रहा था, जो सही साबित हुआ।
इससे पहले सिरोही नगर परिषद में कांग्रेस की सभापति जयश्री राठौड़ पर सीसीटीवी घोटाले में भी भ्रष्टता के आरोप लगे थे और सिरोही विधानसभा में उनकी कांग्रेस से एमएलए की दावेदारी को खतम करने में इन आरोपों ने महती भूमिका निभाई और वह हाशिए पर चली गईं। वहीं अब ताराराम माली दूसरे सभापति हो गए हैं, जो भाजपा से सिरोही विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश करने से पहले ही एसीबी के शिकंजे में फंस गए। इस महीने पूर्व सभापति जयश्री राठौड़ के खिलाफ दर्ज सीसीटीवी घोटाले में भी चार्जशीट पेश होने की आशंका जताई जा रही है। इस प्रकरण में भी लालसिंह राणावत का नाम आयुक्त के रूप में शामिल हैं।
-कई बार पी क्वेश करवाने की कोशिश
सिरोही सभापति के खिलाफ दो मामलों में एसीबी में पी दर्ज है। इस नौकरी घोटाले के अलावा सिरोही नगर परिषद क्षेत्र के आदर्श नगर मार्ग पर खसरा संख्या 1218 का प्रकरण भी शामिल है। इन दो प्रकरणों को खतम करवाने और सभापति ताराराम माली का नाम बाहर करने को लेकर सिरोही से जयपुर तक स्थानीय भाजपा नेताओं ने बहुत कोशिश की।
इतना ही नहीं कई बार पत्राचार करके भी इन प्रकरणों को ड्राॅप करने को लिखा गया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब चुनाव से ठीक पहले उन पर प्रकरण दर्ज करके एक तरह से भाजपा से सिरोही विधानसभा से तो उनकी दावेदारी पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। ये एफआईआर पार्टी और समाज में उनकी भाजपा से दावेदारी को विरोध करने वालों को एक दस्तावेज दे दिया है।
अब जब तक चुनाव में टिकिट वितरण से पहले सभापति ताराराम माली के खिलाफ एफआईआर में एफआर नहीं लग जाती या चार्जशीट दाखिल होकर न्यायालय से छूट नहीं जाते तब तक उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के हाथ में पार्टी में ही उनका विरोध करने का महत्वपूर्ण दस्तावेज आ गया है। जिसे दिखाकर वे लोग ताराराम माली की जगह खुदकी दावेदारी को मजबूत बता सकेंगे।