पिता एक अभिमान : उठते पाव हमारे जिस तरीक़े से है.. उसी तरीके से उनके हाव-भाव हमारे लिए बढते जाते हैं। उनके सोचने का जो अनूठा तरीका होता है कि अपने बच्चे को किस लिए, किन के लिए और किस रास्ते पर ले जाए। उसके लिए पिता हमेशा अपने सारी कोशिश है एकजुट कर बच्चे के पग पग पर अपने अरमानों को रखकर उसे चलना सिखाता है।
उसे हर राह का अनुभव कराता है। कुछ अनहोनी बातें जो पिता हमें बता नहीं पाते लेकिन सख्त बनकर फिर भी वो अंदर से मोम की तरह हर पहलू को समझाते है, पिता अपनी भावनाओं को दिखाते नहीं फिर भी सारी भावनाओं को एकजुट कर कर बच्चे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
यही वह शख्स है जो अपने बच्चों को एक बिल्डिंग के चारों पायो की तरह खड़ा होना सिखाता है उसमें आत्मविश्वास, साहस, धैर्य और शांति रखना सिखाता है। पिता ही ऐसे शख्स हैं जिनकी भावनाओं को समझना बहुत कठिन है अपनी भावनाओं को दिखाते नहीं फिर भी अपने बच्चों के लिए सारे कार्य बिना बोले करते हैं और उनके लिए अपनी जिंदगी से संघर्ष करते रहते है।
” मेरे पिता मेरे अभिमान है, मेरा सब कुछ उनके चरणों के समान है, उनकी हट के सामने मेरा नतमस्तक हो जाता
और उनके लिए हर शब्द छोटा पड़ जाता है “
“MY FATHER MY POWER, HAPPY FATHER’S DAY”