भारतीय समाज में जितने उत्सव मनाए जाते हैं उनमें नवरात्रि का विशेष महत्व रहता है।
“शक्ति ही विश्व का सृजन करती है
शक्ति ही उसका संचालन करती है
शक्ति ही उसका संहार करती है ।”
हमारे देश में नवरात्रि दो बार मनाया जाता है। नवरात्रि का पहला पर्व चैत्र मास में है। इस दिन हिंदू जन अपने-अपने घरों में कलश स्थापना कर दुर्गा पाठ खुद करते हैं या तो कुल पुरोहित से करवाते हैं। वे 8 दिन फलाहार खाते हैं ।आठवें दिन दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। दुर्गा पाठ के पश्चात हवन होता है। नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। इसी तिथि पर भगवान राम ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया था । इस दिन भी लोग व्रत रखकर फलाहार खाते हैं।
नवरात्रि का दूसरा पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है । इसका आरंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है ।नवमी को दुर्गा पाठ तथा हवन के पश्चात इसका समापन होता है। यह उत्तर भारत में ही नहीं गुजरात बंगाल महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । आश्विन शरद ऋतु का महीना है । गुजरात में नवरात्रि के दिन गरबा नृत्य का बड़ा महत्व रहता है ।रात होने पर चारों ओर से छेद वाले मिट्टी के मटके में घी का दीपक जलाया जाता है और फिर गांव के मुख्य चौक में उस मटके को ऊंचे स्थान पर रखकर उसके चारों स्त्री पुरुष एक साथ अथवा अलग-अलग नृत्य करते हैं तथा तालियां बजाकर हर्ष उल्लास प्रकट करते हैं ।
इसी दिन पर आवागढ़ पहाड़ पर स्थित कालिका माता तथा आबरू पहाड़ पर स्थित है अंबाजी माता के मंदिरों में उपासकों की विशेष चहल-पहल रहती है। महाराष्ट्र में भी यह पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। परंतु बंगाल में जितना धूमधाम से मनाया जाता है उतना अन्य कहीं पर भी नहीं है । बंगाल के लोग शक्ति के उपासक है ।इसलिए आश्विन मास का नवरात्रि उनका मुख्य पर्व है। यह दुर्गा पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। बंगाली लोग दशभुजी दुर्गा की पूजा करते हैं। दशभुजी दुर्गा की छोटी बड़ी मूर्तियां प्रत्येक घर में ही नहीं सार्वजनिक स्थानों में भी सजाई जाती हैं। मां काली की स्तुति से बंगाल के गांव और शहर गूंज उठते हैं ।
अनेक प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित होते हैं और भजन कीर्तन तथा विभिन्न प्रकार के वाद्यों के मधुर स्वर से सारा बंगाल निनादित हो उठता है ।दिन-रात दर्शकों और पाठकों की भीड़ लगी रहती है। नए नए रंग बिरंगे वस्त्रों में बंगाली स्त्री पुरुष तथा बाल वृद्ध दिखाई देते हैं ।वे एक दूसरे से मिलकर अपनी शुभकामनाएं प्रकट करती हैं।
कोलकाता में स्थित महाकाली मंदिर की बनावट विशेष दर्शनीय होती है। दूर-दूर से आकर महाकाली के दर्शन करते हैं । 8 दिनों तक प्रत्येक बंगाली लोग दुर्गा पूजा के कार्यक्रमों में इतना तन्मय रहता है कि उसे बाहरी दुनिया का कोई खबर ही नहीं रहती। अष्टमी के दिन हवन होता है ।दशमी के दिन दुर्गा जी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां बाजे गाजे के साथ समारोह पूर्वक निकाली जाती है और पवित्र जल में उनका विसर्जन किया जाता है।
नवरात्रि का पर्व हमें यह संदेश देता है कि – “प्रयत्न करो ,पुरुषार्थ करो ,परिश्रम करो ,तब करो और तुम्हारे भीतर शक्ति का जो भंडार है उसे खोलो तुम्हारे अंदर की शक्ति से अपने परिवार और समाज की भलाई करो।”