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निर्जला एकादशी के बारे में आप सभी को पता होगा लेकिन आखिर इससे क्यों मनाते हैं और इसका आखिर क्या महत्व है यह जानने की उत्सुकता आप सभी में रहती होगी तो आज के इस पोस्ट में हम आपको इसके बारे में ही बताएंगे।
निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पांच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ।