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Imran's speech based on hate and reflective of medieval thinking India - Sabguru News
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इमरान ख़ान का भाषण झूठा, भड़काऊ और नफ़रत भरा: भारत

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इमरान ख़ान का भाषण झूठा, भड़काऊ और नफ़रत भरा: भारत
Imran's speech based on hate and reflective of medieval thinking India
Imran's speech based on hate and reflective of medieval thinking India
Imran’s speech based on hate and reflective of medieval thinking India

संयुक्त राष्ट्र भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण को ‘घृणा पर आधारित’ एवं ‘मध्ययुगीन सोच वाला’ करार देते हुए कहा है कि परमाणु युद्ध की धमकी देकर उन्होेंने साबित कर दिया कि वह दूरदृष्टा राजनेता नहीं बल्कि अस्थिर मन:स्थिति वाले नेता हैं।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के भाषण पर जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यह तीखी टिप्पणी की। भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के उनके देश में कोई आतंकवादी संगठन नहीं होने के दावे पर कई प्रश्न भी खड़े किये।

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा कि ऐसा समझा जाता है कि इस गरिमामय मंच से बोला गया प्रत्येक शब्द इतिहास से जुड़ा है लेकिन दुर्भाग्य से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के मुंह से जो कुछ सुना गया उसमें बहुत प्रभावशाली ढंग से दुनिया के दो ध्रुवीय चेहरे को उकेरने का प्रयास किया गया। यह एक ऐसी पटकथा थी जो संयुक्त राष्ट्र में विभाजन की रेखा खींचती है, मतभेदों को गहरा करती है और घृणा को बढ़ाती है। आसान शब्दों में कहें तो यह एक ‘घृणा पर आधारित भाषण’ था।

मैत्रा ने खान पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच के खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि कूटनीति में शब्दों की अहमियत होती है लेकिन तबाही, खूनखराबा, नस्लीय श्रेष्ठता, बंदूक उठाना और अंत तक युद्ध जैसे शब्दों के प्रयोग ने एक मध्ययुगीन सोच को उजागर किया है, न कि 21वीं सदी के ‘विज़न’ को। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का परमाणु त्रासदी की धमकी देना उनके अस्थिर मति वाले नेता होने का परिचायक है न कि दूरदृष्टा राजनेता होने का।

मैत्रा ने कहा कि आतंकवाद के उद्योग की समूची वैल्यू चेन पर एकाधिकार रखने वाले देश के नेता प्रधानमंत्री इमरान खान का आतंकवाद का बचाव करना घोर निर्लज्ज एवं भड़काऊ व्यवहार है। कोई भद्रजनों के खेल क्रिकेट का खिलाड़ी रहा होगा लेकिन उनके अंदाज के भाषण से दर्रा आदम खेल की बंदूकों की याद आ गयी।

भारत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों को यह सत्यापित करने के लिए आमंत्रित किया है कि पाकिस्तान में कोई आतंकवादी संगठन नहीं है, विश्व उन्हें उनके वादे पर अवश्य परखेगा। भारत ने पाकिस्तान के सामने कुछ सवाल रखे और कहा कि सत्यापन के प्रस्तावक के रूप में उसे इन प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।

मैत्रा ने पूछा कि क्या पाकिस्तान इस बात की पुष्टि कर सकता है कि उसके यहां आज भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित 130 आतंकवादी और 25 आतंकवादी संगठन मौजूद हैं। क्या पाकिस्तान स्वीकार करेगा कि उसकी सरकार विश्व में एकमात्र सरकार है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा अलकायदा एवं इस्लामिक स्टेट के प्रतिबंधित आतंकवादियों को पेंशन प्रदान करती है। क्या पाकिस्तान बता सकता है कि यहां न्यूयॉर्क में उसके प्रतिष्ठित हबीब बैंक को क्यों बंद करना पड़ा जिस पर आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के आरोप में लाखों डॉलर का जुर्माना लगाया गया था।

भारतीय राजनयिक ने पूछा कि क्या पाकिस्तान इस बात से इन्कार करेगा कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल ने पूरे देश को उसके 27 में से 20 मानदंडाें के उल्लंघन का दोषी मानते हुए उसे नोटिस दिया है तथा क्या पाकिस्तानी प्रधानमंत्री न्यूयॉर्क में इस बात से इन्कार करेंगे कि वह ओसामा बिन लादेन के खुलकर बचाव करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और घृणा आधारित भाषण को लेकर घिरने के बाद पाकिस्तान अब मानवाधिकारों के मामले में चैम्पियन बनने की कोशिश कर रहा है जबकि यह एक ऐसा देश है कि 1947 में अल्पसंख्यक समुदाय 23 प्रतिशत था जो आज घट कर तीन फीसदी रह गया है। ईसाई, सिख, अहमदिया, हिन्दू, शिया, पश्तून, सिंधी और बलूची खतरनाक ईशनिंदा कानून, शासन द्वारा उत्पीड़न, दुर्व्यवहार एवं बलात् धर्मान्तरण के शिकार हुए हैं।

भारतीय राजनयिक ने खान को सीधे संबाेधित करते हुए कहा कि तबाही आज के जीवंत लोकतंत्रों का विचार नहीं है। हम आपसे अनुरोध करेंगे कि इतिहास की अपनी समझ को ताज़ा करें। यह नहीं भूलें कि पाकिस्तान ने 1971 में अपने ही लोगों का जनसंहार किया था और इसमें लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी की क्या भूमिका थी। यह एक ऐसी सच्चाई है कि जिसे बंगलादेश की माननीय प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस सभा को आज दोपहर ही याद दिलाया है।

मैत्रा ने कहा कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के विकास एवं उसकी अखंडता को रोकने वाले एक अस्थायी एवं पुराने प्रावधान को हटाने का लेकर जैसी जहरीली प्रतिक्रिया हुई है, उससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि संघर्ष का आनंद लेने वाले कभी भी शांति की किरण का स्वागत नहीं कर सकते। ऐसे वक्त जबकि पाकिस्तान आतंकवाद और घृणा आधारित भाषणों पर कायम है, भारत जम्मू कश्मीर में विकास को मुख्यधारा में लाने के लिए आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को सदियों पुरानी विविधतापूर्ण एवं बहुलतावादी विरासत वाले भारत के जीवंत लोकतंत्र की मुख्यधारा में लाने का काम बहुत अच्छी तरह से जारी है और उसे कोई पीछे नहीं लौटा सकता है। भारत के नागरिक कतई नहीं चाहते हैं कि कोई उनकी तरफ से बोले खासकर वह जिसने घृणा की विचारधारा से आतंकवाद का उद्योग खड़ा किया है।