कोटा। राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने खान के झौंपड़ियां गांव का दौरा करने के बाद इस बात पर गहरा आश्चर्य प्रकट किया कि एक प्रशासनिक भूल से कोटा की जगह बारां जिले में शामिल कर लिया गया यह गांव अब तक बारां जिले में क्यों है।
गुढ़ा ने शुक्रवार को सांगोद के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर और जिला कलक्टर के साथ खान की झौंपड़ियां गांव का दौरा किया और वहां की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेने के बाद यह माना कि एक प्रशासनिक भूल के चलते यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया गया। भरत सिंह ने इस मामले में हाल ही में बारां के प्रभारी मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को पत्र लिखा था।
बारां जिले के प्रभारी मंत्री गुढ़ा आज बारां के दौरे पर आए तो भरत सिंह से उनकी फोन पर हुई बातचीत के बाद उन्हें वहां बुला लिया और वहां से वह कलक्टर के साथ खान की झोपड़ियां गांव का दौरा करने के लिए गए थे।
दरअसल तीन दशक पहले तक बारां जिला कोटा जिले का ही हिस्सा हुआ करता था। लेकिन इस जिले के कोटा से लेकर मध्य प्रदेश की सीमा से सटे छबड़ा, छीपाबड़ौद और कस्बा थाना के विशाल भूभाग में विस्तृत होने के कारण आम आदमी के लिए जिला मुख्यालय पहुंच से बहुत दूर होने और प्रशासनिक मशीनरी के भी प्रभावी तरीके से सरकारी कामकाज करने में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 1991 को कोटा से पृथक बारां जिला गठित किया था।
इस पुनर्गठन से पहले दोनों जिलों की सीमाओं का निर्धारण करने के लिए आमतौर पर दोनों जिलों के बीच होकर बहने वाली काली सिंध नदी को आधार माना था। यानी तय मापदंड के अनुसार नदी के पूर्वी छोर का हिस्सा बारां में तो पश्चिम की ओर का कोटा जिले में शामिल किया गया था। दोनों जिलों के सीमांकन में यह नदी ही मापदंड रही। लेकिन उस समय एक प्रशासनिक चूक से खान की झौंपड़ियां गांव नदी के इस पार कोटा जिले वाले छोर पर होने के बावजूद नवगठित बारां जिले में शामिल कर लिया गया और यह गलती आज तक भारी पड़ रही है।
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से खान की झौंपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर सांगोद के विधायक भरत सिंह अभियान छेड़े हुए हैं और विधानसभा के भीतर.बाहर सभी मंचों से इस मांग को उठाते रहे हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर हाल ही में सेवानिवृत्त हुए संभागीय आयुक्त दीपक नंदी ने कुछ महीने पहले इस दावे की जांच की थी तो यह माना था कि खान की झौंपड़ियां गांव कोटा जिले में होना चाहिए था जो प्रशासनिक चूक से बारां जिले में शामिल कर लिया गया।
नंदी के भौतिक सत्यापन की यह रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दिए जाने के बावजूद अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। असल में यह गांव अपने नाम के अनुरूप खनन गतिविधियों के लिए जाना जाता है और यहां वैध खनन से प्राप्त होने वाला राजस्व बारां जिले के खाते में जाता है।