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In Fight in the party after the Congress debacle in Delhi elections - Sabguru News
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दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह

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दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह
In Fight in the party after the Congress debacle in Delhi elections
In Fight in the party after the Congress debacle in Delhi elections

नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह जारी है। एक समय शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस ने दिल्ली की सत्ता में लगातार 15 वर्ष शासन किया था लेकिन इस बार राजधानी में हुए चुनाव में कांग्रेस दूसरी बार खाता भी नहीं खोल पाई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जिसके बाद पार्टी में आपसी कलह खुलकर सामने आ रही है।

दिल्ली के प्रभारी पद से इस्तीफा देने वाले पीसी चाको ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व पर सवाल उठाए तो अब जवाब देने के लिए मिलिंद देवड़ा और पवन खेड़ा मैदान में आ गए हैं। पीसी चाको दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी थे और नतीजों के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दिया  हालांकि, इससे पहले पीसी चाको ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित अगुवाई कर रही थीं।

दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस के नेता आपस में ही भिड़े

चुनाव में एक सीट भी नहीं पाने वाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आम आदमी पार्टी की तारीफ करते हुए कहा है कि दिल्ली का परिणाम विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला है। चिदंबरम के ट्वीट पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूछा है कि क्या कांग्रेस को दुकान बंद कर लेनी चाहिए।

चिदंबरम के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूछा चिदंबरम सर मैं बस जानना चाहती हूं कि कांग्रेस ने राज्यों में बीजेपी को हराने का काम आउटसोर्स किया है क्या। यदि नहीं, तो फिर हम अपनी हार के बजाय आप की जीत पर गर्व क्यों कर रहे हैं। और यदि आउटसोर्स किया है तो हमें अपनी दुकान को बंद कर देना चाहिए।

एक भी सीट न मिलना कांग्रेस पार्टी के अंदर ही गुटबाजी

दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा कि नतीजों ने उन्हें हैरान नहीं किया और अंदरूनी राजनीति की वजह से पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, हम कहीं नहीं थे। हमने शीला जी द्वारा किए गए काम को दिखाने की कोशिश की, लेकिन वास्तव में देर हो चुकी थी।

दूसरी ओर शर्मिष्ठा मुखर्जी कहा कि हम दिल्ली में फिर हार गए, आत्ममंथन बहुत हुआ अब कार्रवाई का समय है। शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति-एकजुटता का अभाव। नीचे के स्तर से संवाद नहीं होना हार के कारण हैं। मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार