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व्यर्थ में कोरोना संक्रमण के रिकवरी रेट पर सरकारें अपनी पीठ थपथपा रहीं हैं? - Sabguru News
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व्यर्थ में कोरोना संक्रमण के रिकवरी रेट पर सरकारें अपनी पीठ थपथपा रहीं हैं?

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व्यर्थ में कोरोना संक्रमण के रिकवरी रेट पर सरकारें अपनी पीठ थपथपा रहीं हैं?
In vain governments are patting themselves on the recovery rate of corona infection
In vain governments are patting themselves on the recovery rate of corona infection
In vain governments are patting themselves on the recovery rate of corona infection

सबगुरु न्यूज। कोरोना संक्रमित के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय हर रोज अपना बुलेटिन जारी कर सबसे ज्यादा अपनी पीठ कई दिनों से इसलिए थपथपा रहीं हैं कि इस महामारी के देश में रिकवरी रेट अच्छे हो रहे हैं। रिकवरी रेट को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय या केंद्र और राज्य सरकारों की क्या भूमिका है ? अगर इस महामारी से रिकवरी रेट अच्छे हो रहे हैं तो इसमें मरीजों की इम्युनिटी पावर और उनका संकल्प समझा जा सकता है। सरकारों को चाहिए रिकवरी रेट क्या ध्यान हटाकर इस पर फोकस करना चाहिए कि इस महामारी को बढ़ने से कैसे रोका जाए।

बेहतर होता सरकारें अपने-अपने राज्यों में कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड और क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था ही मजबूत कर देते। आइसोलेशन-क्वॉरेंटाइन में अव्यवस्था फैली हुई है कि हजारों मरीज परेशान हो रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन को चाहिए कि इस महामारी से पीड़ित मरीजों के लिए मूलभूत सुविधाएं ही उपलब्ध करा दे तो बेहतर होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी रिकवरी रेट को लेकर अपने विभाग और केंद्र सरकार का कई बार गुणगान कर चुके हैं। मंगलवार को देश में संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख से अधिक पार कर गई है, यह महामारी का भयावह चेतावनी भी दे रहा है। सरकारों को इस पर भी गंभीरता से चिंतन करना होगा। हम संक्रमित मरीजों के मामलों में विश्व में 11वें नंबर पर आ चुके हैं।

कोरोना संक्रमित मरीज स्वयं इस महामारी से जंग लड़ रहे हैं

हमारे देश में मेडिकल की सुविधाएं अमेरिका, इटली, फ्रांस, जापान, चीन, स्पेन इंग्लैंड और रूस जैसी नहीं है। इसके बावजूद संक्रमित मरीज स्वयं इस महामारी से जंग लड़ने में लगा हुआ है। इस महामारी का अभी तक देश ही नहीं दुनिया भर में कोई इलाज संभव नहीं हो पाया है, ऐसे में इस महामारी से लड़ने के लिए मरीज को स्वयं ही संघर्ष करना पड़ रहा है।

अगर भारत में संक्रमित मरीज तेजी के साथ अच्छे हो रहे हैं तो यह उन्हीं का हौसला और जज्बा है कि इस महामारी को वह मजबूती साथ हराने में लगे हुए हैं। मंगलवार को अब तक 39 हजार से अधिक मरीज ठीक हो चुके हैं। यानी रिकवरी रेट करीब 40 फीसदी तक जा पहुंचा है। वहीं, मृत्यु दर भी काफी कम है। अब तक 3 हजार लोगों की मौत हुई है। महज 3 फीसदी लोग कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। मरीजों के तेजी के साथ अच्छे होने पर सरकार की क्या भूमिका है? ये अफसर या मंत्री यह स्वास्थ्य महकमा अपने विभागों में बैठकर हर रोज ब्रीफिंग करने में लगे रहते हैं।

देश में रिकवरी रेट को लेकर नीति आयोग अमेरिका से करने लगा तुलना

इस महामारी से रिकवरी सुधार पर नीति आयोग भी अपना बखान करने में जुटा हुआ है। रिकवरी रेट में सुधार पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान सिर्फ पॉजिटिव केस की संख्या नहीं, बल्कि मृत्यु दर और रिकवरी रेट भी काफी अहम है। मृत्यु दर और रिकवरी रेट के मामले में हम दुनिया के बाकी देशों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है। अमिताभ कांत ने कहा कि प्रति मिलियन हमारे यहां कोरोना से 2 लोगों की मौत हो रही है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 275 और स्पेन में 591 है। वहीं हमारा मृत्यु दर 3 फीसदी है, जबकि फ्रांस में मृत्यु दर 16 फीसदी है।‌

इस तरह हमारे रिकवरी रेट में तेजी से सुधार हो रहा है, अभी यह 38 फीसदी से अधिक हो गई है। रिकवरी रेट को लेकर विदेशों से तुलना करने से पहले नीति आयोग यह भी समझना होगा अगर देश में इस महामारी से हालात बिगड़े तो संभालना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि न तो हमारे पास अच्छे अस्पताल है न उतनी बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि देश में सवा अरब से भी अधिक आबादी है। नीति आयोग को महाराष्ट्र और खासकर मुंबई की स्थित का भी आकलन करना चाहिए, वहां हर दिन मामलों में तेजी देखी जा रही है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार