देश में आतंक अपनी जब हदों से पार हो।
देश के हर नौ जवां के हाथ में तलवार हो । 1
जन्म पाया जिस धरा पर मान उसका ना घटे ,
जान से बढ़कर हमें फिर उस धरा से प्यार हो । 2
जब वतन पर शत्रुओं की हरकतें बढ़ने लगे,
चमकती तलवार से फिर गर्दनो पर वार हो। 3
जो करें कोशिश हमें कमजोर करने की अगर,
बात ऐसी हम करें की बात में भी धार हो । 4
यह जहाँ सारा हमारा हो दिवाने लोग सब ,
सोच ऐसी हम रखें ये संसार ही परिवार हो। 5
दे सहारा हम उन्हें जो बेसहारा है यहाँ,
जो करे धोखा वतन से नाम फिर गद्दार हो । 6
हम रहे मिलजुल सभी यूं भूल कर के बैर सब,
देश में सद्भाव का बस एक “नाथू “सार हो। 7
नाथूलाल मेघवाल बाराँ।