नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज घोषणा की कि देश ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को तय समय से पांच माह पहले ही हासिल कर लिया है, जिससे देश को 41 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत और किसानों को 40 हजार करोड़ रुपए की आय हुई है।
मोदी ने रविवार को विज्ञान भवन में सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा चलाए गए मिट्टी बचाओ अभियान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। मोदी ने कहा कि आज भारत ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। आपको ये जानकर भी गर्व की अनुभूति होगी कि भारत इस लक्ष्य पर तय समय से 5 महीने पहले पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि इससे भारत को 41 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है तथा किसानों को 40 हजार करोड़ रुपए की आय हुई है। इसके लिए किसान और तेल कंपनियां बधाई के पात्र हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अपनी स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत गैर जैविक ईंधन आधारित स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य तय किया था। ये लक्ष्य भारत ने तय समय से 9 साल पहले ही हासिल कर लिया है। आज हमारी सौर ऊर्जा क्षमता करीब 18 गुना बढ़ चुकी है। हाइड्रोजन मिशन हो या फिर सर्कुलर इकोनॉमी पॉलिसी का विषय हो, ये पर्यावरण रक्षा की हमारी प्रतिबद्धता का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हेक्टेयर बंजर जमीन को फिर से उपजाऊ बनाने पर भी काम कर रहा है। पर्यावरण की रक्षा के लिए आज भारत नए नवान्वेषणों और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी पर लगातार जोर दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण रक्षा के भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। भारत ये प्रयास तब कर रहा है, जब जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका न के बराबर है। विश्व के बड़े आधुनिक देश न केवल धरती के ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का दोहन कर रहे हैं बल्कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन उन्हीं के खाते में जाता है।
मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने सीडीआरआई और इंटरनेशनल सोलर अलायंस के निर्माण का नेतृत्व किया है। पिछले वर्ष भारत ने ये भी संकल्प लिया है कि भारत 2070 तक नेट जीरो यानी कार्बन उत्सर्जन रहित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ये प्रयास तब कर रहा है जब जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका न के बराबर है। विश्व के बड़े आधुनिक देश न केवल धरती के ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का दोहन कर रहे हैं बल्कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन उन्हीं के खाते में जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने मिट्टी को बचाने के लिए पांच प्रमुख बातों पर फोकस किया है। पहला- मिट्टी को केमिकल मुक्त कैसे बनाएं। दूसरा- मिट्टी में जो जीव रहते हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में आप लोग मृदा आर्गेनिक मैटर कहते हैं, उन्हें कैसे बचाएं। तीसरा- मिट्टी की नमी को कैसे बनाए रखें, उस तक जल की उपलब्धता कैसे बढ़ाएं। चौथा- भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को जो नुकसान हो रहा है, उसे कैसे दूर करें। तथा पांचवा, वनों का दायरा कम होने से मिट्टी का जो लगातार क्षरण हो रहा है, उसे कैसे रोकें।
मोदी ने कहा कि इन उपायों से किसानों को लागत में 8 से 10 प्रतिशत की बचत हुई है और उपज में 5 से 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। मिट्टी को लाभ पहुंचाने में यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग ने भी बहुत लाभ पहुंचाया है। माइक्रो इरीगेशन और अटल भू-योजना की वजह से देश के अनेक राज्यों में मिट्टी की सेहत भी संभल रही है।
उन्होंने कहा कि हम वर्षा जल संग्रहण जैसे अभियानों के माध्यम से जल संरक्षण से देश के जन-जन को जोड़ रहे हैं। इस साल मार्च में ही देश में 13 बड़ी नदियों के संरक्षण का अभियान भी शुरू हुआ है। इसमें पानी में प्रदूषण कम करने के साथ-साथ नदियों के किनारे वन लगाने का भी काम किया जा रहा है। अनुमान है कि इससे भारत के वन क्षेत्र में 7,400 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी होगी। बीते 8 वर्षों में भारत ने अपना जो वन क्षेत्र 20 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बढ़ाया है, उसमें ये और मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में 22 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को इसके साथ साथ देश में मृदा परीक्षण से जुड़ा एक बड़ा नेटवर्क भी तैयार हुआ है। आज देश के करोड़ो किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड से मिली जानकारी के आधार पर फर्टीलाइजर और माइक्रो न्यूट्रिशन का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जब देश अपनी आजादी के 75वे वर्ष का पर्व मना रहा है, इस अमृतकाल में नए संकल्प ले रहा है। तो इस तरह के जनअभियान बहुत अहम हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज जैव विविधता और वन्य जीवन से जुड़ी जिन नीतियों पर चल रहा है, उसने वन्य-जीवों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि की है। आज चाहे बाघ हो, सिंह हो, तेंदुआ हो या फिर हाथी, सभी की संख्या देश में बढ़ रही है।
इस साल के बजट में हमने तय किया है कि गंगा के किनारे बसे गांवों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करेंगे, प्राकृतिक खेती का एक विशाल कॉरिडोर बनाएंगे। इससे हमारे खेत तो कैमिकल मुक्त होंगे ही, नमामि गंगे अभियान को भी नया बल मिलेगा।
इस अवसर पर सद्गुरु ने कहा कि उनका अभियान किसी व्यक्ति, संगठन, सरकार या कंपनी या उद्योग के विरुद्ध नहीं है। मिट्टी सभी के लिए पूजनीय है। इसलिए इसे बचाने के लिए सभी को साथ आना चाहिए।
कार्यक्रम में अनेक केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, विदेशी राजनयिक और जल संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।