नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई बैठक में सीमा पर प्राथमिकता के आधार पर तनाव कम करने पर जोर दिया गया।
मुद्दों के सर्वमान्य समाधान के लिए भविष्य में दोनों पक्षों के बीच सैन्य और राजनियक स्तर पर और बैठकें भी होंगी।
सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरी बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि दोनों देश तनाव कम करने की दिशा में प्राथमिकता के आधार पर कदम उठायेंगे।
पहली दो बैठकें चीनी क्षेत्र में होने के बाद मंगलवार को तीसरी बैठक भारतीय क्षेत्र के चुशूल में हुई जो करीब 12 घंटे तक चली जिसमें दोनों सेनाओं के बीच झड़प की जगह से सैनिकों को पीछे हटाने, सीमा पर तनाव कम करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा से संबंधित सभी गतिविधियों और घटनाक्रम तथा आगे की योजना पर विस्तार से चर्चा हुई।
लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल आफिसर इन कमान लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने बातचीत में भारत का नेतृत्व किया जबकि चीन के दक्षिण जिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर लिउ लिन ने चीनी पक्ष का नेतृत्व किया।
बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि सीमा पर जल्द से जल्द चरणबद्ध तरीके और कदम दर कदम तनाव में प्राथमिकता के आधार पर कमी लाना जरूरी है।
सूत्रों ने बताया कि मुद्दों के सर्वमान्य समाधान तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकाल के अनुसार शांति तथा मैत्रीपूर्ण स्थिति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर भविष्य में और बैठकें होंगी।
दोनों देश पिछले करीब दो महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को दूर करने के लिए कई दौर की बैठक कर चुके हैं।
यह बैठक दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच गत 17 जून को स्थिति को जिम्मेदारी के साथ संभालने की भावना को ध्यान में रखते हुए हुई। इस बातचीत में दोनों पक्षों के बीच 6 जून की बैठक में सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर बनी सहमति को भी केन्द्र में रखा गया।
बैठक के दौरान कोरोना महामारी काे देखते हुए सभी जरूरी प्रोटोकाल का ध्यान रखा गया। बातचीत में दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। सूत्रों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया जटिल है।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच गत 15 जून की रात गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की यह दूसरी बैठक थी। इस झड़प में एक कर्नल सहित भारत के 20 सैनिक शहीद हो गये थे। झड़प में चीन के सैनिक भी बड़ी संख्या में हताहत हुए थे।