अटारी (अमृतसर)। पाकिस्तान के नोरवाल स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बनाए जा रहे करतारपुर गलियारे की औपचारिकताओं और समझौते के मसौदे पर गुरुवार को भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों ने यहां सौहार्द्रपूर्ण माहौल में विचार-विमर्श किया।
बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देशों के अधिकारी सौहार्द्रपूर्ण माहौल में मिले। भारत की तरफ से बैठक में प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव एससीएल दास ने की जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विदेश मंत्रालय के महानिदेशक डाॅ मोहम्मद फैजल ने की।
पुलवामा में 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले में 40 से अधिक जवानों के शहीद होने और उसके बाद भारत की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी शिविर पर हवाई कार्रवाई से दोनों देशों के बीच रिश्ते बहुत तल्ख हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच किसी मामले पर यह पहली बैठक हुई।
बयान में कहा गया है कि प्रस्तावित समझौते के विभिन्न पहलुओं और प्रावधानों पर विस्तृत और रचनात्मक विचार-विमर्श हुआ। दोनों पक्ष करतारपुर साहिब गलियारे के काम को तेजी से पूरा करने पर सहमत हुए।
दोनों तरफ से तकनीकी विशेज्ञयों ने भी प्रस्तावित गलियारे की एकरूपता रखने तथा उसे जुड़े अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। दोनों पक्ष अगली बैठक दो अप्रैल को वाघा में करने पर सहमत हुए। इससे पहले 19 मार्च को तकनीकी विशेषज्ञों की बैठक होगी।
दास ने बताया कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं के परिवहन की व्यवस्था पाकिस्तान द्वारा की जाएगी। श्रद्धालु पहचान पत्र के तौर पासपाेर्ट का प्रयोग कर सकेंगे जिस पर वीजा की जरूरत नहीं होगी। करतारपुर साहिब में श्रद्धालु रात में ठहर नहीं सकेंगे। उन्हें शाम तक भारत वापस लौटना होगा।
उन्होंने बताया कि गलियारा का निर्माण सितंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा और प्रकाश पर्व के अवसर पर नवंबर 2019 में इसे शुरू कर दिया जाएगा। दास ने एक सवाल के जवाब में बताया कि यह बैठक केवल गलियारा परियोजना तक ही सीमित है।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता अभी भी बंद है। उन्होंने बताया कि बंदूक के साथ वार्ता नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल के साथ हाथ मिलाने की बजाए उन्हें नमस्ते कह कर ही स्वागत किया।