नई दिल्ली। भारत और श्रीलंका ने आतंकवाद से मुकाबले और देश के आर्थिक विकास में मिलजुल कर काम करने का आज संकल्प व्यक्त किया और भारत ने इसके लिए श्रीलंका को 45 करोड़ डॉलर का आसान ऋण देने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने यहां हैदराबाद हाउस में करीब डेढ़ घंटे तक चली द्विपक्षीय बैठक में आतंकवाद, तमिल मुद्दे, जातीय मेलमिलाप, ढांचागत विकास, भारतीय मछुवारों की समस्या आदि मसलों पर सकारात्मक चर्चा की और दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प व्यक्त किया।
मोदी ने बैठक के बाद अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों तथा परस्पर हित के अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बहुत अच्छी और लाभप्रद चर्चा हुई। हमने निर्णय लिया है कि दोनों देशों के बीच बहुमुखी साझेदारी और सहयोग को हम मिलकर और मज़बूत करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार “पड़ोसी प्रथम” नीति और ‘सागर सिद्धांत’के अनुरूप श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देती है। हमारे दोनों देशों की सुरक्षा और विकास अविभाज्य हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा और संवेदनशीलताओं के प्रति सचेत रहें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने श्रीलंका के साथ विकास साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है। यह सहयोग श्रीलंका के लोगों की प्राथमिकताओं के अनुसार होगा। 40 करोड़ डॉलर का एक नया ऋण श्रीलंका में आधारभूत ढांचे और आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि उनकी राजपक्षे के साथ आपसी सुरक्षा के लिए और आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर विस्तार से चर्चा हुई है। आतंकवाद से निपटने के लिए श्रीलंका को पांच करोड़ डॉलर के एक विशेष ऋण की घोषणा करते हुए उन्होंने खुशी व्यक्त की।
मोदी ने कहा कि इसके अलावा मछुवारों की आजीविका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी चर्चा की गयी। हमारे बीच सहमति है कि हम इस मामले में रचनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, जातीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने सदैव ही हर रूप में आतंकवाद का विरोध किया है और सीमा-पार आतंकवाद सहित अन्य प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपेक्षा भी की है। इस साल ईस्टर के अवसर पर श्रीलंका में आतंकियों ने पूरी मानवजाति की विविधता और सहजीवन की मूल्यवान विरासत पर नृशंस हमले किए। आतंकी एवं चरमपंथी ताकतों के विरुद्ध श्रीलंका की लड़ाई में भारत का अटल समर्थन व्यक्त करने वह भारत में चुनावों के तुरंत बाद श्रीलंका गये थे।
उन्होंने कहा, “आपसी सुरक्षा के लिए और आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर मैंने राष्ट्रपति राजपक्ष के साथ विस्तार से चर्चा की है। प्रमुख भारतीय संस्थानों में श्रीलंका के पुलिस अधिकारी आतंकवाद निरोधक प्रशिक्षण का लाभ पहले से ही प्राप्त कर रहे हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए श्रीलंका को पांच करोड़ डॉलर के एक विशेष ऋण की घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है।”
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भी कहा कि मोदी के साथ उनकी बातचीत बहुत सद्भावपूर्ण माहौल में हुई है। भारत श्रीलंका का निकटतम पड़ोसी और अभिन्न मित्र है। आतंकवाद से मुकाबले में खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान एवं सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण का सहयोग महत्वपूर्ण है।
राजपक्षे ने भारत द्वारा ढांचागत एवं आर्थिक विकास के लिए 40 करोड़ डॉलर और आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग के लिए पांच करोड़ डॉलर के आसान ऋण की घोषणा के लिए मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। हमने चर्चा की है कि श्रीलंका इसका किस प्रकार से लाभ उठा सकता है। हमने व्यापार को बढ़ाने के बारे में भी चर्चा की है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका सरकार के सभी प्रस्तावाें पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसके लिए वह उनको धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि हमने मछुवारों के मुद्दे पर भी चर्चा की है। श्रीलंका की हिरासत में भारत की सभी नौकाओं को रिहा किया जाएगा।
इससे पहले मोदी ने राजपक्षे को चुनाव में जीत की बधाई देते हुए कहा, “श्रीलंका में लोकतंत्र की मजबूती और परिपक्वता बहुत गर्व और खुशी का विषय है। आपको प्राप्त जनादेश एक संगठित, मजबूत और समृद्ध श्रीलंका के लिए श्रीलंका के लोगों की आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करता है। इस संबंध में भारत की शुभेच्छा और सहयोग हमेशा श्रीलंका के साथ है। एक स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका न केवल भारत के हित में है, बल्कि संपूर्ण हिन्द महासागर क्षेत्र के भी हित में है।”
उन्होंने दोनों देशों के बीच बहुमुखी साझेदारी और सहयोग को मिलकर और मज़बूत करने के इरादे का इजहार करते हुए कहा कि उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति को विकास साझेदारी एवं सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है जो हमेशा की तरह श्रीलंका के लोगों की प्राथमिकताओं के अनुसार होगा। 40 करोड़ डॉलर के नये आसान ऋण से श्रीलंका में आधारभूत ढांचे और आर्थिक विकास को बल मिलेगा। इससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा। इसके साथ ही यह राशि दोनों देशों के बीच पारस्परिक लाभ की परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन को भी गति देगी।
उन्होंने कहा, “हमें खुशी है कि भारतीय आवास परियोजना के अंतर्गत श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में आंतरिक विस्थापितों के लिए 46 हजार घर बन चुके हैं। भारतीय मूल के तमिलों के लिए 14 हजार घरों के निर्माण में अच्छी प्रगति हो रही है। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हम श्रीलंका में सौर परियोजनाओं के लिए पहले घोषित 10 करोड़ डॉलर के पुराने ऋण को जल्दी उपयोग में लाने पर सहमत हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा श्रीलंका में शिक्षा और ढांचागत विकास में अनुदान के आधार पर जारी 20 सामुदायिक विकास परियोजनाओं और अन्य जनता केन्द्रित परियोजनाओं पर भी दोनों के बीच अच्छी चर्चा हुई। उत्तर और पूर्व समेत पूरे श्रीलंका में विकास के लिए भारत एक विश्वनीय भागीदार बनेगा ।
मोदी ने कहा, “हमने श्रीलंका में जातीय मेलमिलाप पर भी विचारों का खुलकर आदान-प्रदान किया। राष्ट्रपति राजपक्ष ने जातीय समरसता पर उनके समावेशी राजनीतिक दृष्टिकोण के बारे में मुझे बताया। मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी। इसमें संविधान के 13वें संशोधन को लागू करना भी शामिल है।”
उन्होंने कहा कि राजपक्षे की यात्रा से भारत और श्रीलंका के मित्रतापूर्ण संबंधों को और बल मिलेगा। हमारा सहयोग दोनों देशों में विकास और क्षेत्र में समृद्धि, शान्ति और स्थिरता को बढ़ावा देगा। यह इस बात का भी संकेत है कि दोनों देश इन संबंधों को कितना महत्व देते हैं। दोनों देशों की प्रगति और हमारे इस पूरे साझा क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए हम निकटता एवं घनिष्ठता से कार्य करने के लिए तत्पर हैं।