नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले एक वर्ष से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए दोनों सेनाओं ने नियंत्रण रेखा पर गोगरा क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है और अब दोनों पक्षों के सैनिक अपने पुराने स्थायी बेस पर पहुंच गए हैं।
पैगोंग झील क्षेत्र के बाद गोगरा क्षेत्र (पेट्रोल प्वाइंट 17 ए) दूसरा क्षेत्र है जहां से दोनों पक्षों ने अपने सैनिकों को पीछे हटाया है। हालाकि अभी देप्सांग और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों से सैनिकों हटाने के मुद्दे का समाधान नहीं हो पाया है। दोनों सेनाओं के सैन्य कमांडरों के बीच 12वें दौर की वार्ता के दौरान यह सहमति बनी है।
सेना ने आज एक वक्तव्य जारी कर कहा कि गत 31 जुलाई को चुशुल मोल्दो में दोनों पक्षों के बीच कोर कमांडर स्तर की बारहवें दौर की बातचीत के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने गोगरा क्षेत्र से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है और यह कार्रवाई बुधवार और गुरूवार को हुई तथा अब दोनों के सैनिक अपने पुराने स्थायी बेस में पहुंच गए हैं।
वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के साथ-साथ विवाद के बाकी बचे विषयों पर स्पष्ट रूप से विचारों का विस्तार से आदान प्रदान हुआ। दोनों पक्ष गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए थे। इस क्षेत्र में दोनों सेनाओं के सैनिक गत वर्ष मई से आमने सामने टकराव की स्थिति में थे।
समझौते के अनुसार गोगरा क्षेत्र पेट्रोल प्वाइंट 17 ए पर दोनों पक्षों ने चरणबद्ध, समन्वित और प्रमाणित ढंग से सैनिकों की तैनाती बंद कर दी है। दोंनो सेनाओं ने इस क्षेत्र में बनाए गए अस्थायी ढांचों और अन्य ढांचों को ध्वस्त कर दिया है तथा इसकी पुष्टि भी की है।
समझौते में यह सुनिश्चित किया गया है कि दोनों पक्ष इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी रखेंगे और उसका सम्मान करेंगे तथा कोई भी पक्ष यहां पर यथास्थिति में किसी तरह का एकतरफा बदलाव नहीं करेगा।
इसके साथ ही विवाद के एक और संवेदनशील मुद्दे का समाधान हो गया है। दोनों पक्षों ने बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढाने तथा पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के साथ बाकी बचे मुद्दों के समाधान के बारे में भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
वक्तव्य में कहा गया है कि सेना भारत- तिब्बत सीमा पुलिस के साथ मिलकर पश्चिम सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति और मैत्री का माहौल बनाकर राष्ट्र की संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते क्षेत्रों में चीन द्वारा पिछले वर्ष मई के शुरू में यथास्थिति को बदलने की कोशिश किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध उत्पन्न हो गया था। इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच गत वर्ष 15 जून को हिंसक झड़प हुई जिसमें सेना के एक कर्नल सहित 20 जवान शहीद हो गये थे। चीन के भी बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए थे।
इसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संवाद जारी है जिसके परिणामस्वरूप कुछ हद तक मुद्दों का समाधान हुआ है।