नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में टैक्स को लेकर चल रहे टकराव के कारण भारत को टी20 विश्वकप 2021 की मेजबानी से हाथ धोना पड़ सकता है।
आईसीसी ने बीसीसीआई से विश्वकप के लिए भारत सरकार से टैक्स में छूट लेने को कहा था, लेकिन बोर्ड के इसमें नाकाम रहने के बाद आईसीसी ने भारत से विश्वकप की मेजबानी छीनने की धमकी दी है।
क्रिकइंफो के अनुसार पिछले दो महीने में आईसीसी और बीसीसीआई के बीच ई-मेल के जरिये हुई बातचीत में आईसीसी ने बीसीसीआई से 18 मई 2020 तक ‘बिना किसी शर्त’ पुष्टि देने को कहा था जबकि बीसीसीआई ने कोरोना वायरस कोविड-19 से आ रही दिक्कतों का हवाला देते हुए समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। बीसीसीआई की इस मांग को आईसीसी ने ठुकरा दिया।
आईसीसी के वकील जोनाथन हॉल ने 29 अप्रैल को बीसीसीआई को लिखे पत्र में कहा कि अगर बीसीसीआई शर्त को पूरा नहीं करता तो आईबीसी (आईसीसी बिजनेस कॉरपोरेशन) 18 मई 2020 से किसी भी समय समझौते को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का हकदार है।
उन्होंने लिखा कि बीसीसीआई के पास कर समाधान करने के लिए कई वर्ष थे और इसी कारण उसे समझौते को पूरा करने के लिये कहा गया था। बीसीसीआई को इसे 31 दिसंबर 2019 तक पूरा करना था। ऐसी परिस्थितियों में आईबीसी 30 जून, 2020 या लॉकडाउन हटने के 30 दिनों बाद तक और मोहलत देने के लिये तैयार नहीं है।
आईसीसी और बीसीसीआई के बीच कर छूट का यह विवाद भारत में वर्ष 2016 में आयोजित हुए टी-20 विश्व कप के दौरान हुआ था। इस विश्वकप के दौरान आईसीसी को टैक्स छूट नहीं मिली थी और दो से तीन करोड़ अमरीकी डॉलर की कम कमाई हुई थी। आईसीसी ने इस राशि को उसके केंद्रीय राजस्व में बीसीसीआई की हिस्सेदारी में से रोक लिया था। बीसीसीआई इस मामले को आईसीसी की विवाद समाधान कमेटी में ले गई थी और तबसे इसके हल का इंतजार है।
इसी कारण से आईसीसी इस दफा बीसीसीआई को लगातार पत्र लिख रहा है। आईसीसी के मुख्य कार्यकारी मनु साहनी ने जनवरी के अंत में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली को पत्र लिखा था। उससे पहले हॉल ने अप्रैल में बोर्ड सचिव जय शाह को एक ईमेल भेजा था। हॉल ने शाह को लिखा था कि मेजबान होने के नाते बीसीसीआई को ‘कर समाधान’ देना उसका एक ‘दायित्व’ था। जहां आईसीसी के पक्ष में कर को कम किया जाएगा या पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा।
हॉल ने बीसीसीआई को फरवरी 2018 की बैठक की याद दिलाई जिसमें आईबीसी बोर्ड ने कहा था कि बीसीसीआई 31 दिसंबर 2019 तक इसका कोई न कोई समाधान निकालेगा। लेकिन बीसीसीआई समय सीमा के भीतर समाधान निकालने में विफल रहा।
जिसके बाद बीसीसीआई को इस साल 17 अप्रैल तक के लिए विस्तार दिया गया। कोविड -19 के मद्देनजर लॉकडाउन लगाए जाने के बाद बीसीसीआई ने हॉल को बताया कि समय सीमा पूरी नहीं की जा सकती क्योंकि खेल और उससे जुड़ी गतिविधियों के ‘आवश्यक सेवाओं’ के अंतर्गत नहीं आने के कारण वे सरकार से संपर्क नहीं कर सके हैं। भारत में लॉकडाउन 24 मार्च से शुरू हुआ था और यह अभी 31 मई तक जारी रहना है।
बीसीसीआई ने कहा कि बोर्ड वर्तमान स्थिति को देखते हुए ‘कर समाधान’ के हरसंभव प्रयास कर रहा था। यह बीसीसीआई के नियंत्रण से फिलहाल बाहर है क्योंकि उसके लिए 17 अप्रैल से पहले सरकार से अपेक्षित अनुमति प्राप्त करना संभव नहीं था। इस कारण बीसीसीआई ने आईबीसी से 30 जून 2020 या लॉकडाउन हटाए जाने के 30 दिन बाद (जो भी बाद में हो) तक का समय देने का अनुरोध किया था।