नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई का राज्यसभा सदस्य नामित हाेना कांग्रेस को ही पसंद नहीं आया है। देश के ही लोगों को गोगोई का राज्यसभा सभा जाना आश्चर्य चकित है। रंजन गोगोई अभी भारत के मुख्य न्यायाधीश थे लगभग 4 माह पहले ही यह रिटायर हुए थे। रंजन गोगोई चीफ जस्टिस रहते हुए कई बड़े फैसलों के लिए याद किए जाते हैं, दूसरी ओर इनके केंद्र सरकार से भी बाहरी तौर पर ज्यादा अच्छे संबंध नहीं थे।
लेकिन मोदी सरकार और रंजन गोगोई के बीच अंदर के जो संबंध थे वह अब राज्यसभा सभा की उम्मीदवारी के रूप में सामने आया है तभी कांग्रेस हल्ला मचा रही है। देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया है। गोगोई के राज्यसभा भेजे जाने के फैसले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
कांग्रेस ने रंजन गोगोई से पूछे यह सवाल
पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा कि रंजन गोगोई कृपया यह भी बताएं कि अपने ही केस में खुद निर्णय क्यों ? लिफाफा बंद न्यायिक प्रणाली क्यों ? चुनावी बॉन्ड का मसला क्यों नहीं लिया गया ? राफेल मामले में क्यों क्लीन चिट दी गई ? सीबीआई निदेशक को क्यों हटाया गया ? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल रंजन गोगोई से यह सवाल इसलिए पूछ रहे हैं कि पहले कांग्रेस को लगता था कि रंजन गोगोई कांग्रेस खेमे के जज हैं।
पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि हम आज भी जस्टिस खन्ना को क्यों याद रखते हैं? क्योंकि उन्होंने बहुमत के फैसले से असहमति जाहिर की थी आर्टिकल-21 के प्रति उन्होंने कहा था कि वह सस्पेंड नहीं हो सकता, फैसला बेशक कानून के नजरिए में सही हो मगर जनता के नजरिए में गलत था।
रंजन गोगोई बोले, कांग्रेस के सवालों का जवाब मैं बाद में दूंगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा है कि मैं सारे सवालों के जवाब बाद में दूंगा। रंजन गोगोई ने कहा था कि मैं शपथ लेने के बाद बताऊंगा कि मैंने क्यों राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया।
इससे पहले कपिल सिब्बल ने कहा था कि यही जस्टिस गोगोई ने सीजेआई रहते रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करने को संस्था पर धब्बा जैसा बताया था और आज खुद ग्रहण कर रहे हैं। हमें इस मामले में कानूनी पहलू पर जाने की जगह पब्लिक परसेप्शन पर ध्यान देना चाहिए, हमें सोचना चाहिए कि इससे ज्यूडिशियल सिस्टम को लेकर जनता में क्या संदेश जा रहा है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार