नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना, स्व सहायता समूह और आधारभूत संरचना विकास खासकर ग्रामीण सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार आदि के बल पर मोदी सरकार के कार्यकाल में अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार में भारी वृद्धि दर्ज की गई है।
स्कॉच समूह द्वारा सोमवार को यहां आयोजित 56वें शिखर सम्मेलन में जारी ‘स्कॉच स्टेट ऑफ इनक्लूजन रिपोर्ट 2019’ में यह दावा किया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के रोजगार लिंक पर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के शुरू के दो वर्षों में 1.7 करोड़ नए रोजगार सृजित हुये थे। यह योजना अप्रेल 2015 में शुरू हुई थी। बाद के वर्षों में भी पर्याप्त संख्या में नए रोजगार सृजित हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्व सहायता समूहों की संख्या (एसएचजी) में भी तेजी से वृद्धि हुई है। 2014-15 में इनकी संख्या 76.97 लाख थी और 2017-18 में यह बढ़कर 87.44 लाख हो गई। उनके बैंक लिंकेज में ज्यादा प्रभावशाली सुधार देखा गया है।
बैंकों में एसएचजी की सकल बचत वित्त वर्ष 2013-14 में 9,897.42 करोड़ रुपए से बढ़कर 2017-18 में 19,592.12 करोड़ रुपए हो गई। एसएचजी को दिया गया कर्ज भी 2013-14 के 24,017.36 करोड़ रुपए के मुकाबले दोगुना से ज्यादा बढ़कर 47,185.88 करोड़ रुपए हो गया। एसएचजी को बैंक कर्ज में नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) भी कम हुआ और 2017-18 के दौरान यह 6.12 प्रतिशत रहा।
इसमें कहा गया है कि एक एसएचजी से करीब 10-20 परिवारों को लाभ होता है। 2017-18 में करीब 11 करोड़ परिवारों को एसएचजी से लाभ हुआ। 10.47 लाख एसएचजी की वृद्धि से करीब एक करोड़ परिवारों को लाभ हुआ है।
एसएचजी के सदस्यों में 85 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती हैं। एसएचजी द्वारा बचत और उधार लेने में भारी वृद्धि इस बात का सबूत है कि ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के मौके में भारी वृद्धि हुई है।