इंदौर। आज हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की। जी हां अभी पिछले 2 वर्षों से इस शहर ने भारत में साफ-सफाई और स्वच्छता के मामले में नंबर 1 का तमगा हासिल किया था। यह शहर स्वच्छता के मामले में कर्नाटक के मैसूर को पछाड़कर नंबर एक बना था, तब पूरे देश की निगाहें इंदौर पर जाकर टिक गई थी। देश के कई शहर साफ-सफाई को लेकर इंदौर मॉडल अपना रहे थे और उसी की तर्ज पर अपने शहर की तस्वीर संवारने में लगे हुए थे। लेकिन आज यह इंदौर कोरोना वायरस के आगे लाचार और बेबस नजर आ रहा है। इस समय यह शहर मुंबई, दिल्ली के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर आ खड़ा हुआ है।
इंदौर को ‘मिनी मुंबई’ भी कहा जाता है। इंदौर में कोरोना वायरस के हालात बिगड़ने के मामले में वहां की राज्य सरकार और प्रशासन का ढीला रवैया भी एक बड़ा कारण रहा है। शुरुआत में इस शहर ने कोरोना वायरस से अपने आपको काफी दिनों तक बचाए रखा था लेकिन अचानक पूरे देश भर में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में सबसे तेज बढ़ोतरी वाला यह शहर बन गया है।
इंदौर में कोरोना संक्रमित के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं
इंदौर में पिछले 20 दिनों से लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रशासन ने अभी तक इस वायरस से निबटने के लिए आक्रामक नीति जरूर अपना ही है लेकिन हालातों पर काबू नहीं पाया जा सका है। दिल्ली से आई जांच रिपोर्ट में इंदौर के 117 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसे मिलाकर इंदौर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 544 हो गई है। मंगलवार रात तक एमजीएम मेडिकल कालेज की रिपोर्ट के आधार पर इंदौर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 427 थी जो दिल्ली से रिपोर्ट आने के बाद 544 पर पहुंच गई।
यहां से 1142 नमूने जांच के लिए दिल्ली की नोएडा लैब में दो दिन पहले भेजे गए थे जहां से 117 पॉजिटिव आए हैं। इन आंकड़ों के बाद इंदौर सर्वाधिक संख्या में दिल्ली व मुंबई के बाद देश मे तीसरे नंबर पर आ गया है, इंदौर में कोरोना से मौत का कुल आंकड़ा 37 है। यहां के डॉक्टर और प्रशासन समेत पूरा अमला लगा हुआ है इस खूबसूरत शहर में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लेकिन अभी तक उनको सफलता नहीं मिल सकी है।
मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने से इंदौर को पड़ा भारी
पिछले माह मार्च तक वहां कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी लेकिन उसके बाद राज्य में लगभग 25 दिनों तक सत्ता के लिए भाजपा और कांग्रेस में जमकर खेल चलता रहा। हालांकि उस दौरान इंदौर में कोई भी संक्रमित मरीज नहीं मिला था। उसके बाद मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार हटाकर शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन जब तक मध्यप्रदेश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई थी।
आपको जानकारी दे दें कि एक राज्य में अगर सत्ता का परिवर्तन होता है तो पूरा सिस्टम और व्यवस्थाओं पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। ऐसे ही इस राज्य में भी हुआ, शिवराज सिंह चौहान सत्ता से लगभग सवा साल दूरी बनाए हुए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर को लेकर समय रहते आक्रामक फैसले नहीं ले पाए। हालांकि इस शहर में संकरण बढ़ाने में मरकज के जमातियों का भी बहुत बड़ा योगदान है।
जब तक मुख्यमंत्री चौहान इंदौर के बारे में सिस्टम को दिशा-निर्देश देते तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आज कोरोना से इंदौर जबरदस्त जूझ रहा है। यहां की साफ-सफाई और व्यवस्थित शहर को इस वायरस ने बुरी तरह उखाड़ कर फेंक दिया है। आपको बता दें कि किसी भी शहर को साफ सफाई और स्वच्छ बनाने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन उसको उसकी सूरत बिगड़ने में समय नहीं लगता है। जैसे आज इंदौर अपने हाल पर रो रहा है, इन सबके बावजूद यहां के लोगों ने अभी हार नहीं मानी है। लोगों का कहना है कि इंदौर फिर अपने पुराने रूप में जल्द लौट आएगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार