नई दिल्ली। भारत ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रिपोर्ट पर गहरा ऐतराज जताते हुए इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित करार दिया है।
भारत ने संबंधित रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा और पूर्वाग्रह से प्रेरित है। मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को भ्रामक, प्रेरित और विवादास्पद बताया है। मंत्रालय ने कहा कि हम इस रिपोर्ट को लेकर आने के इरादे पर सवाल खड़े करते हैं। रिपोर्ट काफी हद तक असत्यापित जानकारी का एक चुनिंदा संकलन है।
भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को साफ किया है कि पूरा का पूरा कश्मीर भारत का ही हिस्सा है। पाकिस्तान ने भारत के एक हिस्से पर जबरन अपना कब्जा कर रखा है।
यूएन रिपोर्ट मामले में सरकार के साथ कांग्रेस
विपक्ष की राजनीति से ऊपर उठते हुये कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को खारिज करने के सरकार के रुख का समर्थन किया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा “जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। हम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट को खारिज करते हैं। यह निहित स्वार्थ के मद्देनजर भारत की संप्रभुता तथा राष्ट्रीय हितों को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी रिपोर्ट को खारिज करने के सरकार के रुख का समर्थन करती है।
कांग्रेस मुख्यालय में नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पार्टी के प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने भी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने कश्मीर जाए बिना यह रिपोर्ट तैयार की है। इस तरह की रिपोर्ट अनुचित है। सरकार ने इस मामले पर जो रुख अपनाया है, कांग्रेस पार्टी उसका पूरा समर्थन करती है।
जिस तरह से आतंकवादियों को सशस्त्र समूह और नेता बताया गया है, वह घोर आपत्तिजनक है। इस तरह की रिपोर्ट को हम बिल्कुल नकारते हैं और इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार ने जो कहा है, कांग्रेस उसका पूरा समर्थन करती है।
सुरजेवाला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझे बिना यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें भारत की धरती पर पाकिस्तान के समर्थन से फैलाए जा रहे आतंकवाद को संयुक्त राष्ट्र ने नजरअंदाज किया है।
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्विटर पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और हम देश के आंतरिक मामलों में दखल देने की ऐसी किसी भी साजिश को खारिज करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में क्या
रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, दोनों में ही मानवाधिकार उल्लंघन की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र ने इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ‘अत्यधिक बल’ प्रयोग कर रहे हैं जिसके कारण दोनों देशों में वर्ष 2016 से बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए और घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने क्षेत्र में मानवाधिकारों पर अपनी पहली रिपोर्ट में क्षेत्र में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंकवाद विरोधी कानूनों का दुरूपयोग शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं पर अत्याचार करने और विरोध को कुचलने के लिए न करे। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट मुख्यत: जुलाई 2016 से अप्रैल 2018 के बीच जम्मू-कश्मीर में कथित गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों पर केंद्रित है।